साहित्य सागर

दोस्ती के कमल फूल

  उस दिन अकेलापन निर्धनता की तरह हावी हो गया था। अजनबी चेहरों की भीड़ में अकेलेपन ने अभी आत्मघात नहीं किया था, जब मैंने अपनी ओर घूरती हुई आंखों को देखा। चाल ढाल से उसके फ़ौजी होने का अनुमान मैंने लगा लिया था। उसके नक़्श अवचेतन मन के किसी कोने में दिखाई दिए, इससे पूर्व कि व्यतीत के पानी ...

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