परिवार

घर को स्वर्ग कैसे बनायें

परिवारों में दु:ख का कारण परिवारों में टूटन बिखरन और अलगाव की वृद्धि होती जा रही है। संयुक्त परिवार की हमारी पुरातन विरासत और सभ्यता समाप्त होती जा रही है।

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सुखी दाम्पत्य जीवन आपसी तनाव मिटाएं

-सुमन कुमारी दाम्पत्य जीवन में मन-मुटाव तो होता ही रहता है। कुछ लोग अपनी गृहस्थी को अपने ही हाथों ख़त्म कर लेते हैं। पति-पत्‍नी को आपसी बातों को घर के अंदर ही निपटाना चाहिए। पति और पत्‍नी में तनाव बढ़ने के दो कारण आमतौर पर देखे जाते हैं। इनमें से एक तो है पत्‍नी का पति पर शक करना और ...

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घर, घरवाला, घरवाले

-दीप ज़ीरवी घ + र = घर। मात्र शब्द जोड़ नहीं है घर। मकान बनाने में, कोठी-बंगला बनाने में तो मात्र कुछ माह अथवा कुछ बरस लगते हैं। घर बनाने में पुश्तें लग जाती हैं। स्नेह + सामंजस्य + संस्कार = संस्कृति, संस्कृति + संस्कारित सदस्य = घर परिवार। इनमें से एक भी तत्त्व के अभाव में घर अपूर्ण है अर्थहीन है। घर पीढ़ी दर ...

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पति-पत्‍नी का रिश्ता दो दिलों का अटूट बंधन

दुनियां के सभी रिश्तों से सर्वोपरि माना जाने वाला रिश्ता है पति-पत्‍नी का रिश्ता। पति-पत्‍नी का रिश्ता इतना महत्वपूर्ण होता है कि दोनों अपने इष्‍ट देव को साक्षी मान कर जीवन भर साथ निभाने का वायदा करते हैं। जब एक लड़की दुलहन बन कर पति के घर में आती है तो वहां का सब कुछ उसके लिए नया और अनजाना होता ...

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मां-बाप, बच्चे और जनरेशन गैप

-दीप ज़ीरवी ईश्‍वर के चरण, भगवद्प्रसाद इत्यादि अलंकारों से सुसज्जित माता-पिता जिन के कारण औलाद संसार में आती है, दुनियां देखती है, दुनियादारी सीखती है। वह मां-बाप जिन की दुनियां उनके बच्चे होते हैं उनके बच्चों से दुनियां होती है उनकी। बहुतेरे मां-बाप बेटा हो अथवा बेटी वो अपने प्रत्येक बच्चे को अनूठा प्यार और दुलार देकर पालते पोसते हैं ...

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टूटे संयुक्‍त परिवार पड़ी संस्कृति में दरार

-शैलेन्द्र सहगल संस्कारों के बिना संस्कृति उस कलेंडर की भांति है जो उस दीवार पर टंगा रह जाए जिस घर को पुश्तैनी सम्पत्ति के रूप में जाना तो जाए मगर रहने के लिए, जीने के लिए अपनाया न जाए उसे ताला लगाकर उसका वारिस नए और आधुनिक मकान में रहने चला जाए। कलेंडर बनी संस्कृति में उन तिथियों की भरमार ...

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संयुक्‍त परिवार का टूटता तिलिस्म

  -पवन चौहान नैतिकता की पहली पाठशाला परिवार को माना जाता है। लेकिन परिवारों के बिखराब के साथ ही नैतिकता, सामाजिक नियमों व कानूनों, रहन-सहन में भी बहुत बदलाव आ चुका है। यदि वर्तमान संदर्भ में देखा जाए तो संयुक्त परिवारों का अस्तित्त्व धुंधला-सा हो गया है। संयुक्त परिवारों के मज़बूत स्तंभों के ढहते ही समाज का सारा ढांचा गड़बड़ा ...

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पारिवारिक रिश्तों में मधुरता लाए

  -सुमन भारत में रीति-रिवाज़ों और संस्कारों को महत्ता दी जाती है। इन रीति-रिवाज़ों और संस्कारों से परिवार जुड़े हैं। परिवार टूटने से संयुक्त परिवारों में जितना प्यार अपनापन होता है एकल परिवारों में देखने को नहीं मिलता। मगर आधुनिकता की नई दौड़ में जहां परिवार टूट रहे हैं वहीं उनमें प्यार व स्नेह की कमी भी नज़र आने लगी ...

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