रिश्ते, नाते

रिश्ते क्यों टूटते हैं?

आज का युग बहुत ही गतिशील और परिवर्तनशील है। ज़माना बदलता जा रहा है, चीज़ें बदलती जा रही हैं, लोग बदलते जा रहे हैं, रिश्ते टूटते जा रहे हैं।सांझे परिवार टूटकर बिखर रहे हैं

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आपका और उनका दिन मैरिज एनवर्सरी

दाम्पत्य में सामंजस्य के लिए या कुछ कमियों को दूर करने के लिए संकल्प का दोहराव सुखद मोड़ लाता है। कुल मिलाकर अगर यूं माना जाए कि पति-पत्नी के बीच 'मैरिज एनवर्सरी' वाले रोज़ सिर्फ़ स्पर्श हो बातों का, यादों का।

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नाजुक रिश्ते- सास, बहू और बेटा

लेकिन उसी नारी उसी मां को जब सास का नाम मिलता है तो वो खूबसूरत एहसास लुप्त क्यों हो जाता है? उसकी मनोहरता समाप्त क्यों हो जाती है? उसकी विशालता उसके प्रेम पर प्रश्न चिन्ह क्यों लग जाता है?

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मायका होता मां के होते

सही अर्थों में किसी लड़की का अपने मायके के साथ रिश्ता तब तक ही क़ायम रहता है, जब तक उसकी मां जीवित रहती है। आजकल तो मां की मौत के बाद लड़कियों का तो अपने मायके जाने का अर्थ ही सीमित-सा हो गया है। मां के जीते जी ही बेटी अपने मायके को अपना घर कह सकती है। मां के ...

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क्यों कांपती हैं गृहस्थ की दीवारें

-गोपाल शर्मा फ़िरोजपुरी घर समाज की प्रथम इकाई है। घरों से मुहल्ला, मुहल्लों से गांव और गांवों से शहरों और नगरों का निर्माण होता है। घर एक ऐसा सुन्दर स्थान होता है जहां मनुष्य स्वयं को सुखद और आनंदित अनुभव करता है। मनुष्य ही नहीं अपितु जीव-जंतु, पशु-पक्षी भी अपने-अपने घरों और घौंसलों में स्वयं को सुरक्षित मानते हैं। एक घर ...

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मेरे तुम्हारे हमारे मां-बाप

-दीप ज़ीरवी मानव सामाजिक जीव है। परिवार की सबसे छोटी इकाई है मानव। परिवार, जो समाज की सब से छोटी इकाई है। इस समाज को अनेक संस्थाएं संचालित करती हैं इन अनेक संस्थाओं में से एक संस्था है ‘शादी’। जब शबनमी यौवन की पुरवाई, अल्हड़ता को झंकृत करने को आतुर होती है, ऐसे मौसमों में शहनाइयां मनों को बाग-बाग कर ...

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महत्वाकांक्षा का पलड़ा ममता पर भारी क्यूं?

 -विजय रानी बंसल प्राचीन काल में महिलाएं केवल घर की चारदीवारी तक ही सीमित थी। घर-गृहस्थी सँभालना ही उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य था। परन्तु वक़्त के साथ-साथ विचारधाराएँ बदलीं, मान्यताएं बदलीं। महिलाएं घर की चारदीवारी से निकल कर बाहर की दुनियां में आयीं और उन्हें मिला शिक्षा, आज़ादी और कुछ कर दिखाने वाली सम्भावनाओं का विस्तृत आकाश। इसमें सबसे ...

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ससुराल: नया घर नए रिश्ते

विवाह एक ऐसा संस्कार है जो केवल दो दिलों को ही नहीं मिलाता बल्कि दो परिवारों को भी बांधता है। लड़के और लड़की के नए रिश्ते बनते हैं। यह रिश्ते इतने नाज़ुक होते हैं कि इन्हें निभाने के लिए बहुत सूझबूझ से काम लेना चाहिए। हालांकि शादी के बाद लड़का और लड़की दोनों के नए रिश्ते बनते हैं लेकिन क्योंकि ...

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