व्यंग्य

कैसे

क्रिकेट में बल्लेबाज़ को एक रनर मिलता है लेकिन कोई तोड़फोड़ व लूटपाट करनी हो तो केवल एक व्यक्ति को आगे बढ़ना होता है, हज़ारों की संख्या में रनर अपने आप साथ आ मिलते हैं।

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बापू की भारत यात्रा

सुनो, चरखायान को वापस मोड़ लो मैं आगे नहीं जाना चाहता। जिस सत्याग्रह को मैंने अपना हथियार बनाया था। उसी सत्याग्रह हथियार बना लिया लोगों ने।

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रावण खुश हुआ मित्र

‘बस एक ही! देश की तरह रावण बनाने वाले भी जल्दी में थे क्या? आग लगे ऐसी जल्दी को जो, नाश का सत्यानाश करके रख दें।’ ‘महाशय आप तो दशानन थे न? फिर अब के.....’

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गणेश न मिले रे पूजन को गणेश

‘गणेश जी। आप यहाँ। मैं आप को मारा-मारा फिरता हुआ कहाँ-कहाँ नहीं ढूँढ रहा था। कम से कम मन्दिर में तो रहा करो नाथ।‘मन्दिर में? तुम रहने दो तब न।’

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नए वर्ष का प्रवेश द्वार

जी हां, सबकी रग-रग में बस चुका, मैं हूं भ्रष्टाचार। नववर्ष में भी बढ़ेगा अभी मेरा परिवार। झट से खोलो द्वारपाल, मेरे लिए नववर्ष का द्वार।’

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उत्तर आधुनिकता हई! शावा!!

आज लेखक अमीर है, अपनी खोटी नीयत के कारण खुद को ग़रीब दिखाता है। दो कनाल की कोठी का मालिक होने के बाद भी पांच हज़ारी इनामों के पीछे भागता फिरता है

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