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मेरे तुम्हारे हमारे मां-बाप

-दीप ज़ीरवी मानव सामाजिक जीव है। परिवार की सबसे छोटी इकाई है मानव। परिवार, जो समाज की सब से छोटी इकाई है। इस समाज को अनेक संस्थाएं संचालित करती हैं इन अनेक संस्थाओं में से एक संस्था है ‘शादी’। जब शबनमी यौवन की पुरवाई, अल्हड़ता को झंकृत करने को आतुर होती है, ऐसे मौसमों में शहनाइयां मनों को बाग-बाग कर ...

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जगाया है नारी को विदेशी संस्कृति ने

– मुनीष भाटिया भारतीय संस्कृति की विशालता की दुहाई देकर, आज बुद्धिजीवी वर्ग चिंतित है। उनकी दृष्‍ट‍ि में भारतीय संस्कृति मज़बूत व विशाल तो है पर फिर भी विदेशी प्रचार माध्यमों के हमले का डर उन्हें हिलाए हुए है। कैसी विडम्बना है, एक तरफ़ तो यह वर्ग भारतीय संस्कृति को विशाल व महान की संज्ञा देता है व दूसरी तरफ़ इसके ...

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ठहाके लगाएं रोग भगाएं

-मीरा हिंगोरानी ये सभी जानते हैं कि ठहाके मार कर हंसने से, बहुत से रोगों का निवारण होता है। आज के व्यस्त जीवन में, बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं द्वारा। लाफिंग थैरेपी को विशेष मान्यता दी जा रही है। एलोपेथी, होम्योपेथी, नैचरोपेथी व आयुर्वैदिक ‘यूनानी पद्धति’ की तरह इस लाफिंग थैरेपी को भी आज महत्त्व दिया जा रहा था। इसे लोकप्रिय बनाने ...

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क्रूरता

-बिमला नेगी स्कूल के प्रांगण में मंदिर है या मंदिर के प्रांगण में स्कूल मैं नहीं जानती। हाँ इसी स्कूल के होस्टल में मैं रहती हूँ। और मंदिर के पास एक कुत्ते-कुत्तिया का जोड़ा रहता है। सुबह-सवेरे कुत्तिया मार्ग के बीचों-बीच बैठकर मानो आने-जाने वाले की हाज़िरी भरा करती है। प्रतिदिन सुबह 4 बजे मन्दिर की ध्वनि बज उठती तब ...

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हिस्टीरियाः कमज़ोरी का दमन

एक महिला को मेरे पास लाया गया। युनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर है। पति की मृत्यु हो गई तो वह रोई नहीं। लोगों ने कहा बड़ी सबल है। सुशिक्षित है, सुसंस्कृत है। जैसे-जैसे लोगों ने उसकी तारीफ़ की वैसे-वैसे वह अकड़ कर पत्थर हो गई। आँसुओं को उसने रोक लिया। जो बिलकुल स्वाभाविक था, आँसू बहने चाहिएं। जब प्रेम किया है और ...

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बच्चे जब भगवान् के बारे में पूछें

-तेजप्रीत कौर कंग बच्चों के कुछ बेहद सीधे सवाल कई बार माता-पिता के लिए सबसे कठिन सवाल बन जाते है, जैसे कि बच्चों को यह बताना कि हम सबको ईश्‍वर ने बनाया है और वो हम सबसे बहुत प्यार करता है, बच्चों को अकसर यह पूछने पर मजबूर कर देता है कि ईश्‍वर कहां है, वो देखने में कैसा है, ...

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सावित्री

  घर में शादी की चहल-पहल थी। सावित्री की नज़रें रास्ते पर लगी थी। ‘सुनो जी, मानव, मधु और बच्चे अभी तक नहीं पहुँचे। उन्हें फ़ोन करके पूछ तो लो, कहाँ हैं अब तक?’ सावित्री ने अपने पति दीनानाथ की ओर मुड़ते हुए कहा। ‘दादी जी, मैंने अभी फ़ोन किया था, वे रास्ते में हैं – बस पहुंचने ही वाले ...

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एक टांग वाला मुर्गा

वह पैटून पुल आस-पास के छ: गांवों को जोड़ता था। जब से उज्ज दरिया पर यह पुल बनाया गया था लोगों को बड़ी राहत मिली थी। बॉर्डर पर बसे गांव सकोल के लिये यह पुल बड़ा उपयोगी सिद्ध हुआ था। इस गांव और समीप के लगते गांवों की ज़रूरतों को देखते हुये गांव का माध्यमिक विद्यालय हाई स्कूल में तबदील ...

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ये मन, क्यों बने कुंठाओं का मालगोदाम?

-दीप ज़ीरवी श्रीमती ‘क’ जहां कहीं भी जाती हैं अपने उन की नौकरी, बंगले, कम्पनी वग़ैरह की तारीफ़ों के पुल बांधती नहीं थकती। श्रीमती ‘ख’ हर समय अपने आप को कोसती मिलती हैं। श्रीमती ‘ग’ को अपने स्टेटॅस को दिखाने का कोई मौक़ा मिलना चाहिए वो चूकती नहीं। इसी तरह की एक नहीं अनेक उदाहरणें हमें हमारे आस-पास देखने को ...

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खुशबू

  -सुरेन्द्र कुमार ‘अंशुल’ आज मैं बहुत खुश हूँ। आँखों से नींद कहीं दूर छिटकी हुई थी। खुली खिड़की के उस पार मुस्कराते हुए चाँद को देख कर मेरे होंठ मंद ही मंद मुस्करा रहे हैं। मन का पंछी नीले आकाश पर फैले बादलों के पास उड़ान भर रहा है। क्यों न हो ऐसा? आज … हाँ आज ही मुझे ...

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