मैंने उनका घर कभी नहीं देखा था और आज तक नहीं देखा। फिर भी मन ही मन मैं उनके घर को अपना समझने लगी थी। मुझे लगता कि उनका घर मेरे द्वारा ही संचालित हो रहा है।
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दास्तान मेरी
मैं क्या सुनाऊं तुम्हें दास्तान मेरी क़िस्मत भी है मुझपे हैरान मेरी मैं एक पत्थर पड़ा था गली में कोई बना गया तराश के शान मेरी वफ़ओं के बदले मिली हैं सज़ायें
Read More »पुस्तक की क़ीमत
"जी, यहां मेरा मायका है।" युवती बिस्कुट खाते हुए बोली।पहली बार सुखनजीत को लगा कि वह धोखे में था क्योंकि उसे कहीं से भी युवती विवाहित नहीं लग रही थी। "आप शादीशुदा हैं?"
Read More »ब्लैंक चैॅक
कुछ दिनों बाद मेरी तक़दीर ने मेरे साथ एक और घिनौना मज़ाक किया। मुझे सीमा से सच्ची मुहब्बत हो गई, मैं मन ही मन में सीमा को सच्चे दिल से अपनी पत्नी स्वीकार करने लगा।
Read More »दिल की दास्तान
जिस्म बेजान कोई हो जैसे खुद से अनजान कोई हो जैसे दिल में आहट, न कोई हलचल है राह वीरान कोई हो जैसे हमसे कहते हैं मुस्कुराने को काम आसान कोई हो जैसे
Read More »अंधेरे में तैरते शब्द
कुछ अंधेरों में जुगनुओं से तैरते शब्द पकड़ने हैं मुझे पानी में उड़ती तितलियों के परों पर लिखनी हैं कहानियां
Read More »इक तेरे चले जाने के बाद
हम भी रोये यह दिल भी रोया बुलबुल भी रोई और गुल भी रोया तन्हाई में डूबा हर पल भी रोया इक तेरे चले जाने के बाद... चुपके से चल दिये न ख़बर की हालत देखो तो आकर जिगर की
Read More »परीक्षा भवन में बैठे चेहरे-एक बिम्ब
परीक्षा भवन में बैठे ये चेहरे मेरे लिए राजीव, जोगिन्दर शकील या थॉमस नहीं मात्र आंकड़े हैं कभी कम, कभी ज़्यादा
Read More »वो पल
वो पल जब तुम आये मेरा हाथ मांगने पर निकाल दिये गये घर से ये कहकर, “तुम्हारी जाति हमसे मेल नहीं खाती” टूट गई मैं ब्याह दी गई अपनी जाति में
Read More »गीत
तुम अश्कों के ग़ुंचे पिरोया करोगे हमें याद कर-कर के रोया करोगे बहारों का आयेगा जब-जब भी मौसम
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