आज किसी भी क्षेत्र में नौकरी प्राप्त करने के लिए 'चुनाव मापदण्ड' उम्मीदवार योग्यता नहीं है बल्कि उसके द्वारा पेश की गई रिश्वत या किसी मंत्री की सिफ़ारिश होती है।
Read More »Uncategorized
दिन बुज़ुगों के मान सम्मान का
आधुनिकता के नाम पर समय बुज़ुर्गों के मान-सम्मान को पीछे धकेलता जा रहा है। सितंबर में बुज़ुर्गों के मान सम्मान का दिन मनाया जाता है।
Read More »ईर्ष्याः एक मनोचिकित्सकीय अध्ययन
जब मन में ईर्ष्या या डाह पैदा होती है तो क्रोध आता है, कभी मन रोने को होता है, अपने या प्रतिद्वंद्वी के प्रति अशुभ विचार उत्पन्न होने लगते हैं, कमज़ोरी-सी महसूस होती है,
Read More »अंतिम सांझ का दर्द
वह हर दिन निकलने वाले सूर्य के साथ दरवाज़े पर टकटकी लगाए एक आशा भरी निगाह लिए अपने बेटों का इंतज़ार करती। उसे हर आने वाले कल पर भरोसा था। उसे हर आने वाले कल पर भरोसा था।
Read More »लव मैरिज या फिर अरेंज मैरिज
विवाह एक समझौता, मैत्री सम्बन्ध के रूप में स्वीकृत है। आज की व्यस्तता में विवाह सम्बन्धी सभी परम्पराओं को निभाने का न किसी को अवकाश है
Read More »धर्म और राजनीति
धर्म को अगर राजनीति से जोड़ कर देखा जाए तो चहूं ओर राजनीति का बोलबाला ही नज़र आता है और आज की राजनीति का कोई धर्म नज़र नहीं आता।
Read More »एक लौ
इन सब प्रकार की कुंठा, डर, संशय, वैमनस्य, त्रासदी, दिशाहीनता और विभिन्न मतभेदों को समाप्त करने में एक व्यक्तित्व अभी भी सक्षम है। कौन?
Read More »भारद्वाज गुरू जी
वह कुछ सकपकाया, 'आप अकेली.... और मेरा रुकना....। कुछ अच्छा नहीं लगता। हम चले जाएंगे।' चम्पा अधीर हो उठी। अपनी पहचान को पुख़्ता करने के लिए इतना समय और बात काफ़ी थी।
Read More »शीत ऋतु की आम बीमारियां व उनसे बचाव
यही मौसम लेकर आता है त्वचा की अनेक बीमारियां जैसे हाथ, पैर, होंठों का फटना, हाथों की खाल उतरना और त्वचा का मृत हो जाना। सर्दी के मौसम में ऐसी परेशानियां होना आम बात है।
Read More »चलेंगे साथ
हर कोई उससे बात करने से क़तराने लगा था। वो जहां भी जाती पहले से बैठे हुए उसके सहपाठी उठकर चले जाते। उसके सहपाठी हंसी-ठिठोली कर रहे होते और अन्या वहां पहुंच जाती तो सब मौन धारण कर लेते।
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