गोपाल शर्मा ‘फिरोजपुरी’

लड़कियों के प्रति मानसिकता बदलनी होगी

–गोपाल शर्मा फिरोज़पुरी युग बदला इतिहास बदला मगर आधुनिक संसार में सभ्य समाज आज भी पुरानी परिपाटी का परित्याग नहीं कर पाया। जन्म-जन्मांतरों से हमारी मानसिकता अभी भी उसी पड़ाव पर खड़ी है जहां सदियों पहले खड़ी थी। परिवार, जिससे मिलकर समाज का निर्माण होता है तथा जिस समाज से विकसित राष्ट्र का निर्माण होता है। वर्तमान वैज्ञानिक युग में ...

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कन्यादान उचित या अनुचित

     –गोपाल शर्मा फिरोज़पुरी परिवर्तन प्रकृति का नियम है, जो लोग भूतकाल और वर्तमान में डूबे रहते हैं सम्भवत: भविष्य को खो देते हैं। समय की आवश्यकताओं के अन्तर्गत परिस्थितियों के अनुकूल मानव प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है। पुरातत्व से नया अनुसंधान करना यश और कीर्ति को सूचित करता है-पुरानी परम्पराओं को जीवित रखना जहां आवश्यक है वहां ...

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नारी पर नग्नता के आरोपों से आख़िर क्या साबित होगा

-गोपाल शर्मा ‘फिरोज़पुरी’ प्रकृति ने अपनी रचना में स्त्री-पुरुष को बराबर बनाया है, परन्तु सदियों से पुरुष प्रधान समाज में स्त्री की बराबरी उसे असहनीय है। सदियों से पर्दे में लिपटी नारी ने उस प्रथा के विरोध में चुनौती दी है तो पुरुष तिलमिला उठा है। अश्‍लीलता और नग्नता जैसे आरोप नारी पर लगने लगे हैं। शिक्षा के विकास के ...

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