गोपाल शर्मा ‘फिरोजपुरी’

पुलिस का डंडा चलता है

सूरज चढ़े ही खड़े लाईन में शाम का सूरज ढलता है नोट लेने गई भीड़ पर पुलिस का डंडा चलता है आम आदमी परेशान हो रहा नोट नहीं बदलता है मंत्री जी का बिना लाईन के झट से नोट बदलता है

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नारी के अस्तित्त्व पर प्रश्न चिन्ह?

नारी प्रकृति है, प्रकृति परमेश्वर है- यदि भगवान् का कोई भी अस्तित्त्व है तो वह भगवती के कारण ही है भगवती-भगवान् से किसी रूप में भी कम नहीं दूसरे शब्दों में यदि यह कहा जाए कि मां का रुतबा भगवान् से भी बड़ा है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। नारी एक प्रबल ज्योति है- प्रकाश का पुंज है।

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जीवन की कहानी बूंद-बूंद पानी

प्रकृति की रचना कितनी अजीब है कि हमारी धरती तीन ओर से पानी में घिरी है मगर फिर भी प्यासी की प्यासी है। मनुष्य, जीव-जन्तुओं और वनस्पति को जीवित रहने के लिए पानी की अति आवश्यकता है। जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं में पानी की अहम भूमिका है।

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प्यार और धर्म के क्षेत्र में ठगी जाती है नारी

  -गोपाल शर्मा फिरोज़पुरी प्रकृति ने सृष्‍ट‍ि में नारी को कोमलांगी, सुन्दर, एवं सुशील होने के साथ-साथ संवेदनशील विनम्र और भावुक भी बनाया है। वह चंचल, मधुर और प्रिय भाषी है। नारी पुरुष से शारीरिक और मानसिक तौर पर कहीं भी निर्बल नहीं बौद्धिक स्तर पर वह मर्द को पछाड़ने की क्षमता रखती है। परन्तु अपने चंचल और भावुक स्वभाव ...

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क्यों कांपती हैं गृहस्थ की दीवारें

-गोपाल शर्मा फ़िरोजपुरी घर समाज की प्रथम इकाई है। घरों से मुहल्ला, मुहल्लों से गांव और गांवों से शहरों और नगरों का निर्माण होता है। घर एक ऐसा सुन्दर स्थान होता है जहां मनुष्य स्वयं को सुखद और आनंदित अनुभव करता है। मनुष्य ही नहीं अपितु जीव-जंतु, पशु-पक्षी भी अपने-अपने घरों और घौंसलों में स्वयं को सुरक्षित मानते हैं। एक घर ...

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एक टांग वाला मुर्गा

वह पैटून पुल आस-पास के छ: गांवों को जोड़ता था। जब से उज्ज दरिया पर यह पुल बनाया गया था लोगों को बड़ी राहत मिली थी। बॉर्डर पर बसे गांव सकोल के लिये यह पुल बड़ा उपयोगी सिद्ध हुआ था। इस गांव और समीप के लगते गांवों की ज़रूरतों को देखते हुये गांव का माध्यमिक विद्यालय हाई स्कूल में तबदील ...

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देवियो, बहनों और बच्चियो नशे से दूर रहो

-गोपाल शर्मा फिरोज़पुरी समस्त सृष्‍ट‍ि की रचयिता जगत दात्री पूजनीय महिलाओ आप धरती का स्वर्ग हो, इसको आप नशे के सेवन से नर्क मत बनायें। मर्द तो प्राचीन काल से ही नशे की लत से संलिप्‍त है। सतयुग हो या त्रेता, द्वापर हो या कलयुग मर्द ने मदिरा को खूब चूमा है। देवता हो या दानव, गन्धर्व हो या राक्षस सभी ...

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