-बलदेव राज भारती 15 अगस्त की रात्रि 10 बजे थे। मैं अपने कमरे में बैठा कोई रचना लिखने में व्यस्त था। अचानक तेज़ हवा के एक झोंके ने बन्द दरवाज़े को खोल दिया। खिड़कियां ज़ोर-ज़ोर से खड़कने लगी। मुझे दूरदर्शन पर देर रात्रि चलने वाले भूतीया धारावाहिक ‘आप बीती’ की याद हो आई। मुझे लगा कि कमरे में किसी प्रेतात्मा ने ...
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मरसिये की उम्र
मीरा के जाते समय उसने मीरा का हाथ छोटे बच्चे के सिर की तरह सहलाया। जिस मीरा के साथ उसने घर बसाने का सपना देखा था, उसी मीरा के लिए उसके बनवासी बोल उभरे, “अपनी कहानी लोरी से शुरू हो कर मरसिया पर ख़त्म हो गई है।” चलती लुओं में मीरा की खामोशी शीत बनी रही। उस के हाथों का ...
Read More »आज की खुद्दार औरत
दोस्ती के कमल फूल
उस दिन अकेलापन निर्धनता की तरह हावी हो गया था। अजनबी चेहरों की भीड़ में अकेलेपन ने अभी आत्मघात नहीं किया था, जब मैंने अपनी ओर घूरती हुई आंखों को देखा। चाल ढाल से उसके फ़ौजी होने का अनुमान मैंने लगा लिया था। उसके नक़्श अवचेतन मन के किसी कोने में दिखाई दिए, इससे पूर्व कि व्यतीत के पानी ...
Read More »ग़ज़ल
ग़ज़ल
जनता का चालान समारोह
-शैलेन्द्र सहगल मैं एक पुलिस नाके से बोल रहा हूं। आज यहां पर ए.एस.आई – सरदार सिंह अपने पूरे तामझाम सहित मौजूद हैं और कोटा पूरा करने के लिए अर्थात् रिकॉर्ड पूरा करने के लिए चालान समारोह का आयोजन हो रहा है। मैं पत्रकार हूं मुझे पूर्व निमन्त्रण भेज कर तो बुलाया नहीं गया था। आम परिस्थितियों में तो पत्रकारों ...
Read More »ख़ुदगर्ज़
“सिस्टर जल्दी करो पेशेंट को ऑपरेशन थियेटर पहुंचाओ, फौरन ऑपरेशन करना पड़ेगा।” बदहवास से डॉक्टर रवि नर्स से कह रहे थे। उनके सहकर्मी देख रहे थे कि सदैव संयत रहने वाले डॉक्टर रवि इस पेशेंट के आने से काफ़ी परेशान थे। “विमल, देख यार इस पेशेंट का ऑपरेशन पूरे ध्यान से करना।” डॉक्टर रवि अपने मित्र व सहकर्मी विमल से ...
Read More »पत्थर ही रहने दो
खारा बादल
खुशख़बरी सुनते ही डॉक्टर दीपा ने सोचा कि डॉक्टर स्वराज को फ़ोन किया जाए, “अस्पताल जल्दी पहुंचो, तुम्हारे साथ एक बहुत बड़ी खुशी बांटनी है।” उसे पता था, वह आगे से कहेगा, “खुशियां तो होती ही बांटने के लिए हैं, पर थोड़ा सा पता तो लगे?” “बस तुम जल्दी आ जाओ, यह खुशी मिल कर ही बताई जा सकती है।” ...
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