Writers

मिस काल को न करें मिस

-माधवी रंजना अगर आपके पास मोबाइल है तो मिस काॅल भी आते होंगे। कई बार आप काॅल बैक करते हैं तो कई बार इग्नोर कर देते हैं। काॅल बैक करना या अटेंड करना इस बात पर निर्भर करता है कि काॅल किस व्यक्‍त‍ि का है। जो भी हो इस मिस काॅल की सुविधा ने मिस की ज़िंदगी में बहार ला ...

Read More »

ईश्‍वर की मुस्कान

”पापा मेरी बांहों में दुबक जाना चाहते थे, कुछ कहना चाह रहे थे मगर शब्दों को ध्वनि नहीं मिल रही थी। पापा का तड़पना उनके अन्तिम पलों का संकेत दे रहा था। “हाय मेरी मां यह सब कैसे सहन करेगी?”

Read More »

बहता पानी

“इस बार का जन्म दिन हम पाली के साथ नहीं किसी अन्य के साथ मिलकर मनायेंगे।” मनिन्दर मुझसे कह रही है। मैं हैरानी के साथ उसके चेहरे की तरफ़ देखता हुआ सोचता हूं कि यह त्रिकोण की चौथी कोण कौन हो सकता है? “बस यह तुम्हारे लिए सरप्राइज़ होगा- तुम पैसों वाले तोहफ़े पसंद नहीं न करते, इसलिए मैंने सब से ...

Read More »

जीने का सहारा

-डॉ.प्रेमपाल सिंह वाल्यान एक चर्मकार था- जूता बनाने वाला। उसका नाम साइमन था। उसका न अपना मकान था न अपनी ज़मीन। वह अपनी पत्‍नी के साथ एक किसान के घर में रहता था। जूते बनाने से उसकी इतनी ही आय होती थी कि दोनों का शाम का भोजन चल जाए। रोटी महंगी थी। काम सस्ता था। साइमन के पास भेड़ ...

Read More »

फ़ैशन का असर

-सुमन अपने पसंदीदा हीरो, हीरोइनों व कलाकारों की भांति दिखने की प्रवृत्ति ने बच्चों में फ़जूल ख़र्च को बढ़ावा दिया है। अधिकांश लोगों व युवाओं के पास मनोरंजन का साधन टेलीविज़न है। लेकिन इन दिनों प्रसारित कार्यक्रमों में प्रचलित फ़ैशन के चलते लोगों की जेब ढीली हो रही है। बात सिर्फ़ पहरावे की ही नहीं हो रही, घरेलू साज-सज्जा से ...

Read More »

निकम्मे आदमी की डायरी

-धर्मपाल साहिल शाम 6 बजे-(ग़ैर छुट्टी वाला दिन) हम दफ़्तर से लौटे तो ज्वालामुखी सी फटने को तैयार पत्‍नी ने हमें पानी के गिलास की जगह बिजली का बिल पकड़ाते हुए खूंखार अंदाज़ में गुर्राते हुए कहा, “देख लो, बिजली का कितना बिल आया है हमारा?” “कितना आया है माड़ू की मां?” “पूरा हज़ार रुपये।” “फिर क्या हुआ, पहले भी ...

Read More »