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नारी

न पूज्य बनो न पुजारी हो तुम नारी ही रहो, बस नारी हो तुम। सजधज न कुन्तल बिखराओ यह नयन चपल मत मटकाओ। फ़ैशन की होड़ को रोको तुम इस अंधी दौड़ को रोको तुम।

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सिलसिला

कितनी बार टूटकर बिखरते हैं हम कितनी बार बिखर कर सिमटते हैं हम कि ये सिलसिला एक दिन नहीं दो दिन नहीं ताउम्र चलता है

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युवाओं में आकर्षण का केन्द्र बनी आधुनिकता

क्या है आधुनिकता? जो युवाओं को आकर्षित करती है। आधुनिकता विभिन्न प्रकारों की होती है जैसे- आधुनिक व्यवहार, आधुनिक विचार, आधुनिक जीवन शैली, आदि।

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अब तू डट जा नारी

द्रौपदी के बदले हुए तेवरों में ललकार थी, चुनौती थी, एक भयंकर गर्जना थी जो सिंहनी की भांति गर्ज उठी, “वह अपने बालों को गांठ नहीं लगायेगी

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गणेश न मिले रे पूजन को गणेश

‘गणेश जी। आप यहाँ। मैं आप को मारा-मारा फिरता हुआ कहाँ-कहाँ नहीं ढूँढ रहा था। कम से कम मन्दिर में तो रहा करो नाथ।‘मन्दिर में? तुम रहने दो तब न।’

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सूरज की तलाश

नहीं जानती, उगा होगा, किसी अनजाने देश में, सतरंगी सूरज। इन्द्रधनुशी आभा से खिला होगा, प्रकृति का कण-कण।

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