उसकी शर्माती आंखों में है अदम्भ साहस भी क्योंकि उसने कभी नहीं माना कि शर्म का पर्यायवाची डर होता है उसकी सकुचाती आंखों में अधूरापन भी है
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नए वर्ष का प्रवेश द्वार
जी हां, सबकी रग-रग में बस चुका, मैं हूं भ्रष्टाचार। नववर्ष में भी बढ़ेगा अभी मेरा परिवार। झट से खोलो द्वारपाल, मेरे लिए नववर्ष का द्वार।’
Read More »समुद्र के ओर की खिड़की
मैंने तो उसे साफ़ कह दिया था बाक़ी जो मर्ज़ीं करता रह। यह मेरा पेशा है परन्तु मेरे होंठों पर केवल एक का ही अधिकार है। होंठों को अमर के बिना और कोई नहीं छू सकता।
Read More »पुस्तक की क़ीमत
"जी, यहां मेरा मायका है।" युवती बिस्कुट खाते हुए बोली।पहली बार सुखनजीत को लगा कि वह धोखे में था क्योंकि उसे कहीं से भी युवती विवाहित नहीं लग रही थी। "आप शादीशुदा हैं?"
Read More »अंधेरे में तैरते शब्द
कुछ अंधेरों में जुगनुओं से तैरते शब्द पकड़ने हैं मुझे पानी में उड़ती तितलियों के परों पर लिखनी हैं कहानियां
Read More »वो पल
वो पल जब तुम आये मेरा हाथ मांगने पर निकाल दिये गये घर से ये कहकर, “तुम्हारी जाति हमसे मेल नहीं खाती” टूट गई मैं ब्याह दी गई अपनी जाति में
Read More »दवा भी है संगीत
एक बार उस्ताद बड़े अली खान ने कहा था कि हिन्दुस्तान व पाकिस्तान के हर घर के एक-एक व्यक्ति को शास्त्रीय संगीत सिखा दिया जाए तो बंटवारे की कोई ज़रूरत ही नहीं।
Read More »योजना एक सीरियल बनाने की
मैं एक कॉमेडी सीरियल का निर्माण करने जा रहा हूं- ‘क्योंकि छाछ भी कभी दही थी।’ इसके लिए मुझे कलाकार चाहिए। यदि आप में से कोई
Read More »क्या यही प्यार है
युग-युगान्तर तक अपनी अलग पहचान बनाये रखी प्रेम, प्यार ने चाहे वह सीता जी-राम जी का हो या लैला-मजनूं के क़िस्से हों। पर अब सब कुछ बदल रहा है
Read More »औरतें ही हैं अव्वल
समूची दुनियां मान चुकी है औरतें पुरुषों की अपेक्षा अधिकांश क्षेत्रों में अव्वल हैं। आप माने न माने औरतों के गुण जन्मजात हैं, उनके समक्ष पहुंचना मर्दों के वश की बात नहीं।
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