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स्त्रियां व्रत क्यों रखतीं हैं?

कई बार तो किसी व्रत को महिलाएं अन्य को देखकर पीढ़ी-दर-पीढ़ी करती आ रही हैं। यह व्रत क्यों और किसके लिए किया जाता है, उन्हें यह भी नहीं मालूम होता। वैसे हमारे यहां व्रत के नियम भी लोचदार बनाने का नियम है। जैसे ज़्यादा प्यास लगने की स्थिति में घुटने के बल बैठकर पानी पिया जा सकता है।

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बोल्ड बनाता है सेक्स

इस परीक्षण में देखा गया कि जिन लोगों ने सेक्स का भरपूर आनन्द उठाया था इस समय के दौरान वह अच्छी तरह भाषण दे सके। जिन्होंने सेक्स का आनन्द नहीं उठाया, वे भाषण में कमज़ोर निकले।

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निर्निमेष

मैं छत की मुंडेर तक जा पहुंचा। वह युवती तक़रीबन तीन मीटर की दूरी पर थी। अभी-अभी मेरे शरीर के अंदर किसी वस्तु ने प्रवेश किया। मैं रंगे हाथ पकड़ा गया था। उस युवती ने देखा ... तब मैं। लगा जैसे कुछ उतरता चला गया है। अनंत से ... अनंत तक।

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वो पंडित भला किस काम का जो

देख... यजमान की दरियादिली... पंडित जी! ऊपर से नीचे तक मुस्काए, उनकी वीभत्स मुस्कुराहट देखकर नौ के नौ ग्रह घबराए... पंडित जी ने आव देखा न ताव... झोले से काग़ज़ पेन निकाला... ठीक की गले की मायावी माला... चौकड़ी मार... अपनी कंगाली झाड़... सामग्री लिखने लगे

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राष्ट्र निर्माण या चरित्र निर्माण

हम अपनी जड़ से कोसों दूर जा निकले हैं। आज नैतिक मूल्यों को बुद्धू बक्सा (टी.वी.) ही चबा निगल रहा है। क्या ड्रामे और क्या धारावाहिक सब में विवाहेत्तर संबंधों में उन्मुक्तता रखने, बरतने वाले बोल्ड एवं ब्यूटीफुल चरित्रों का बोल-बाला दिखाया जा रहा है।

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वक़्त से डरो

दो पुत्रों और एक पुत्री की मां बीरो को ज़िंदगी में कोई सुख नहीं मिला था। दोनों पुत्र अपना विवाह होते ही दूर-दूर जा बसे थे। मां और बहन किस हालत में हैं उन दोनों ने मुड़ कर भी नहीं देखा। ऐसे में पड़ोस में रह रहे राय बाबू को व्यंग्य बाण छोड़ते हुए ज़रा भी दया नहीं आती थी।

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सुन्दरता बिकती है, बोलो ख़रीदोगे

आज सुन्दरता के अर्थ ही बदल गये हैं। सुन्दरता अब अन्य बिकाऊ वस्तुओं की तरह बाज़ारी वस्तु बनकर रह गई है, सौंदर्य का व्यापारीकरण हो गया है। प्राकृतिक सुन्दरता वाली बातें अब बीते ज़माने के क़िस्से बनकर रह गए हैं।

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आमदनी

अन्दर से डॉ. कालरा की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी। वह अपनी नर्स पर बिगड़ रही थी, जिसने हाल ही में उसके क्लीनिक में नौकरी पाई थी, "सुनीता अगर तुम इसी तरह नॉर्मल डिलीवरी करवाती रही तो वो दिन दूर नहीं जब कालरा क्लीनिक बंद हो जाएगा,

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पढ़ाई

आज दिव्या दोपहर में अपने कमरे में गई, लेकिन अभी शाम के 8 बजने को आये, बाहर नहीं निकली। ये बच्ची हमारे पड़ोस में ही रहती है। मैं अपना काम निबटाकर बाहर निकली तो उसकी मम्मी से राम सलाम हुई। वो मुझे आज कुछ खिन्न सी नज़र आई।

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