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रिश्वत दें, लें पर प्यार से

मैं तो नहीं पर अपने गांव के बोधराम शास्त्री का कहना है- रिश्वत लेने के बाद मंदिर जाने को मन करे तो हो आएं, इससे मन की शुद्धि तो नहीं होती पर शुद्धि का भ्रम ज़रूर होता है। रिश्वत देने व लेने को आदत न बनाएं, इसे शौक़ मानकर लें और दें।

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इस बार दीवाली पर

इस बार दीवाली पर हसरतों की ख़ाक आंसुओं में गूंथ मन के चाक पर चढ़ा आहों की भट्टी में तपा दिल के दिये बनाएंगे विश्वास के तेल में भिगो कर प्रेम की बाती

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दीवाली

आंगन में क़दम पड़ते ही ठिठक गये देख मां को बैठा बरामदे में लगा आज कड़ाही, नहीं चढ़ी खीर पूड़े नहीं बने मां ने बत्तियां नहीं बाटी भगवान नहीं नहलाए नये कपड़े नहीं पहनाये

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महिलाओं की भी यशस्वी परम्परा रही है

यह सत्य है कि नारी की प्रतिभा, क्षमता, योग्यता, पुरुष की प्रतिभा, क्षमता, योग्यता से मिलकर अनन्तगुनी प्रभावशाली हो जाती है। इतिहास से अगर नारी की भूमिका हटा दी जाए तो उसका स्वरूप ही बदल जाता है।

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पलायन

अम्मी जान तुम ही बताओ- दहशतर्गदों की वजह से कारखानेदार अपने कारखाने बंद कर घाटी से पलायन कर गए हैं। रोज़गार के जो छोटे-छोटे मौक़े मिल जाते थे, वे भी ख़त्म हो चले हैं। अब तो यही ठीक रहेगा कि हम भी घाटी को छोड़कर कहीं और चले जाएं।

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आंच

'पापा! पापा! अलमारी में से पटाखों के पैकेट निकाल दो न।' बच्चों ने मुझे झंझोड़ते हुए कहा। मैं मौन रहा। 'आख़िर ऐसा क्या है उन पटाखों में जो उन्हें साल भर से रखे बैठे हो।' मुझे चुप देख कर पत्नी ग़ुस्से में बोली।

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बंटवारा

धरती बांटी अंबर बांटा बांट दिया जग सारा मानव तेरी चाल के आगे ईश्वर भी है हारा ईश्वर ने तुुझको बनाया

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विजय दशमी के दिन

रावण का पुतला जलाते समय लाखों, करोड़ों लोगों का केवल एक ही मत यह होता है कि रावण को माता सीता के अपहरण की सज़ा युगों के बाद भी मिल रही है। किन्तु आज के सभ्य कहे जाने वाले समाज में तो एक-दो नहीं बल्कि लाखों रावण मौजूद हैं।

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