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ऑफ़िस में आपका व्यवहार

ऑफ़िस में काम करते समय बैठने का ढंग अच्छा होना चाहिए। वस्तुओं को खींचना जिससे शोर उत्पन्न हो, शांत वातावरण में अनुचित लगता है। दूसरों की बात सुनने के बाद अपना पक्ष कहना चाहिए। बातचीत करते समय हाथ पैर हिलाना उचित नहीं

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हम भी खड़े हुए

न तो मेरे पास काला धन था, न किसी मंत्री/ मुख्यमंत्री का बेटा/ दामाद था मैं, न तो मुझे झूठ बोलने की प्रैक्टिस थी, न बूथ कैप्चरिंग का कोई तजुर्बा था ऊपर से स्वयं सोच-समझ कर अपना फ़ैसला स्वयं लेने की बुरी-लत। इस सब के रहते चुनाव में लीडर-लीडर कैसे खेलूंगा??

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मेरा कुछ भी नहीं

मेरे पिता का अब "मेरा" कुछ भी नहीं है क्योंकि मैं उसका बेटा नहीं हूं उसके तथाकथित 'कुलीन कुल' का दीपक भी नहीं हूं न ही उसके वंश साम्राज्य का प्रतीक ही हूं

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आ जाओ

मैंने हवाओं, घटाओं खुश्बुओं, शुआओं आंसुओं, दुआओं के हाथ कितने ही ख़त भेजे हैं तुम्हें शाम ढले भी दमों की दहलीज़ पर बैठा समय के डाकिए के हाथों तेरे जवाब का इन्तज़ार कर रहा हूं।

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मैं सृष्टि हूं

मैं सृष्टि हूं यह जानते हुए भी मेरे अस्तित्त्व को झुठलाया गया महारथियों की अर्धांगिनी होते हुए भी भरी सभा में मुझे लज्जित करवाया गया।

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स्वाधीन देश की स्वाधीन नारियां

मेरा लक्ष्य नारी शोषण के विविध आयाम प्रस्तुत करना नहीं है। उस पर तो यदि नाम सहित प्रमाणिक लेखन हो, तब भी अनेक पुस्तकें बन जाएंगी। यहां मेरा लक्ष्य बहुत सीमित है। मैं आज के परिदृश्य में शिक्षित महिलाओं की दशा प्रस्तुत करना चाहती हूं, जहां विसंगतियां अलग-अलग रूपों में व्याप्त हैं।

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आलोचना

दोनों का इंतज़ाम एकदम भिन्न था, जिस भाई के यहां हमारी बारात गई थी, उसकी सारी व्यवस्था एकदम सादी थी जैसा कि देहात का सामान्य आदमी रखता है। इसके विपरीत दूसरे भाई के इंतज़ाम का क्या कहना!

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गृहलक्ष्मी की महिमा निराली

आपकी यह पूजा अवश्य सफल होगी। देवी लक्ष्मी तो कभी सामग्री ग्रहण करती नहीं, जबकि गृहलक्ष्मी हर बार खुश होकर आपकी वंदना-सामग्री स्वीकार कर लेगी और हो गई आपकी पूजा सफल।दीवाली के मौक़े पर आपकी पूजा दिवाले से बची रहकर सफल हो

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उपहार

मां! तुम भी एक बात ध्यान से सुन लो। तुम उसकी मार सह सकती हो.... परन्तु मैं नहीं। उन्हें यह बात अच्छे ढंग से समझा देना कि मेरे ऊपर हाथ न उठाएं। नहीं तो अच्छा नहीं होगा। तुम अपने बापू के लिए ऐसा कह रही हो! क्या कर लोगी तुम?

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हर बार नहीं

तुम तो चाहते हो कि तुम मेरे जज़बातों से बलात्कार करो और मैं हर बार अपने वजूद के टुकड़ों को समेट कर पुनः तुम्हारे कदमों में फूलों की तरह विछ जाऊं

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