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मुखौटा आधुनिकता का

आज हम इतने आधुनिक हो गए हैं कि टॉपलेस और स्कर्ट पहन रहे हैं, पॉप सुनने लगे हैं, उन्मुक्त प्रेम सम्बन्धों को समाज मूक स्वीकृति देने लगा है। आज आधुनिकता का अभिप्राय यही है।

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दुल्हन बनी मां

आपको अपने बारे में सोचना चाहिये। बुढ़ापे में पति-पत्नी एक दूसरे का सहारा होते हैं। बीमार होने की स्थिति में एक-दूसरे से बेपर्दा सिर्फ़ आपस में ही हो सकते हैं।

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एक था रावण

छुआ तक नहीं, हे री सीता, पाई सज़ा! हर साल, खुलेआम, रावण-दहन तमाशा, जनता देखती, ताली पीटती।

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सानिध्य

जी चाहता है, प्यार की सफ़ेद कम्बली ओढ़कर, छिपा लो मुझे अपने अन्तस्तल में, छिप जाऊं तुम्हारे विशाल वक्ष में जी भर के सो लूं,

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नारी बिना सब सून

नारी की उपलब्लियों पर ज़रा ग़ौर करें। हैदराबाद की नैना ने 8 वर्ष की आयु में दसवीं कर ली। लखनऊ की सुष्मा वर्मा ने 15 वर्ष की आयु में पी.एच डी कर ली, है न नारी का आधुनिक वंडर।  

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पंजाब की समस्याएं

पंजाब सारे भारत के प्रान्तों में सर्वोपरि था। इसके बाग़-बग़ीचों में बहारें थी। फल और सब्ज़ियों का भण्डार था। पंजाब की मिट्टी उपजाऊ होने के कारण यह भारत का सरताज कहलाता था।

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साज़िशें

मैं बच्चा नहीं था पर खिलौनों से बहलाया गया मुझे, कितनी साज़िशें करके रास्तों से भटकाया गया मुझे। अरमान था कब से कि इक सुकून की रात भी आएगी,

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काश उस सफ़र पर

काश….उस सफ़र पर तुम चले न होते। काश…. तुमने अपनी उंगलियों के पोरों से मेरे आंचल को न छुआ होता तुम मेरे लिये गंगाजल होते।

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ज़हर सरीखा ज़िन्दगी क्यूं?

ज़मीन में ज़हर, आसमान में ज़हर, हवा में ज़हर, पानी में ज़हर, खाद्य पदार्थों में ज़हर, पौधों में ज़हर, दवाइयों में ज़हर जो हम निगल रहे हैं, उससे हम कितनी देर जीवित रह सकते हैं।

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