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पुनर्स्थापना

खुजराहो के किसी मंदिर की भित्ति से चुरा कर एक ऋषि ने मंत्र-सिद्ध कर तुम्हें साकार कर दिया मेरे लिए

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औरत

बिख़र गई हूं पंक्ति बन कर मैं। अपने-अपने दृष्टिकोण पर, सबने परखा मुझको। मनचाहा अर्थ लगाया मेरा। कौन समझा सही अर्थ को ?

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थोड़ी ही देर सही

थोड़ी ही देर सही मौसम खुशगवार हुआ तो था। थोड़ी ही देर सही तुझको प्यार हुआ तो था। कहां गया वह पौधा जिसे लगाने पर बूटा-बूटा चमन का

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आस्था में सेंध

पंडित ने कहा था यजमान आपके भाग्य का सितारा चमकने वाला है कुछ ही देर के बाद आपकी अपनी कोठी होगी और आपके पास अमुल्य धन सम्पदा होगी।

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शास्त्र और शस्त्र विद्या अनिवार्य नारी के लिए

उसे किसी वेद-पुराण या उपनिषदों में पारंगत बनाना नहीं है अपितु हमने जिस शास्त्र से उसे जोड़ना है वह है सत्यम्-शिवम् और सुन्दरम्।

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लिख दो

तुम्हारे नाम लिख दिए हैं वे खूबसूरत नज़ारे भी जो अभी देखने बाक़ी हैं उन फूलों की खुशबू भी जो अभी खिलने बाक़ी हैं उन झरनों की झंकार भी

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