नील कमल ‘नीलू’ जज़बात दस्तक एक अक्स मेरा चांद मासूम नज़रें हमसफ़र ग़र हमराज़ न हो तो सुर्ख शाम ख़त लिखना कविता वो तुम थे इक चांद नन्हा सा अब तक मैं हूं भारतीय लड़की अहसास कशमकश दूरियां अब और नहीं अंतराल आज फिर एक साया तुम मिले स्वप्न तेरी रुख़सत वो गुज़रे हुए दिन ऐ मेरे हमनवां औरत-कल, आज और कल गर्ल फ्रैण्ड से शादी,ना बाबा ना पतिगण ज़रा इधर भी गौर फरमाइए 2015-05-27 admin