Author Archives: admin

ये जेल के बाहर के क़ैदी

यह है जालंधर सेंट्रल जेल। सुबह के दस बज रहे हैं। गाड़ियों के शोर के बीच यहां लगती है लोगों की भीड़ रोज़। कोई समारोह नहीं होता। भीड़ इसलिए कि रोज़ सैंकड़ों लोग आते हैं और जेल में मुलाक़ातियों की जगह है बहुत ही छोटी। ठेलम-ठेल।

Read More »

संवेदनशील एक्ट्रेस और बेबाक व्यक्तित्व- कंगना राणावत

कंगना को स्पष्टवादिता के बारे में जाना जाता है। बेबाकी से अपनी हर बात को रख पाने में मशहूर कंगना हमेशा विवादों में घिरी रहती है। वो अपनी शर्तों पे जीती है और विवादों से प्रभावित नहीं होती। जब हर सवाल का सटीक जवाब देती है तो बहुत परिपक्व नज़र आती है।

Read More »

चांदनी का प्रतिशोध

हर इंसान के जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी घटती हैं जिन्हें लाख चाह कर भी हृदय से निकाला नहीं जा सकता फिर वो घटना जो किसी के बहुत अपने व्यक्ति की हो तो जिस्म का अंग-अंग कट कर गिरता सा लगता है वो इंसान ऊपर से नीचे तक खून से लथपथ होकर भी चिल्ला नहीं सकता, रो नहीं सकता। यादों ...

Read More »

न्याय

भूमाफ़ियाओं द्वारा क़ब्ज़ाये गए भूमि के टुकड़े को वापिस पाने के लिए राम सिंह कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। उसकी यह लड़ाई पिछले पन्द्रह साल से अनवरत जारी है। वह हर सप्ताह या पन्द्रह दिन बाद कचहरी आता है। सुबह से शाम तक न्यायालय की चौखट पर बैठा हुआ मुक़द्दमे की पुकार के इंतज़ार में ऊंघता है।

Read More »

हलाहल

अरे बेटी, एक अकेली मां की जब तक चली, तब तक तो चारों एक ही थे, जब चारों की चार घरों से सीखी, चार बहुएं आ गईं, तो अकेली मां के संस्कार क्या करते? सभी ने तो अपने-अपने मर्द को अपने-अपने पल्लू में बांध रखा है।

Read More »

योग्य बेटी के पांव की बेड़ियां न बनें

वो समाज में जितनी भी पहचान स्थापित कर ले फिर भी वो औरत है, बेटी है इसका उसको कर्ज़ चुकाना पड़ता है और न जाने कितनी प्रतिभाएं इस मानसिक प्रताड़ना के चलते, अपने सफ़र को अधूरा छोड़ देती हैं।

Read More »

एक कवि का साक्षात्कार

देखिए, मैं अब पचपन का हूं और बचपन से लिख रहा हूं। वैसे मैं जब पालने में था तब भी लय में रोता था, लय में हंसता था। इसे आप हमारी पहली कविता ही समझिए।

Read More »

डूबता मस्तूल

‘पापा, मैंने बहुत सोच-विचार के बाद निर्णय लिया है कि मैं यहां सब कुछ छोड़छाड़ कर अपने देश आ जाऊं अमला तो यहीं के रंग में रंगी हुई है। मैं अपने बच्चों के लिए लाखों डॉलर जमा कर चुका हूं। उनकी शिक्षा-दीक्षा के लिए वह धन-दौलत बहुत होगी

Read More »

विष कन्या

बस रुकते ही वह हवा के झोंके की तरह बस में चढ़कर मेरे साथ ख़ाली पड़ी सीट पर बैठ गई। उसके स्पर्शमात्र से मेरी रगों में बहते खून की गति तेज़ हो गई। तेज़ी से पीछे की ओर भागते पेेड़ों, पौधों, घरों, खेतों, खलिहानोंं से हटकर मेरी नज़रे उस अप्सरा पर मंडराने लगी थीं।

Read More »

गर्मी से बचाव

यहां की ग्रीष्म ऋतु में, जहां कुछ महीने गर्मी के असहनीय होते हैं ज़्यादातर हम इसके आदि हो गए हैंं और अपने को कमरों में बंद कर लेते हैं। अगर हम कुछ बातें मन मे रखें तो न केवल हम इस गर्मी को मात दे सकेंगे बल्कि इस मौसम का आनंद भी ले पाएंगे।

Read More »