बहुत बार चाहता हूं भूल जाऊं बीते दिनों को भूल जाऊं बीते दिनों की बातों को भी कई बार यह भी चाहा है कि भूल जाऊं उन चेहरों को जो अजनबी होते हुए भी अपने लगते थे
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किसी को उदास देखकर
मैं जानता हूं बहुत ही उदास-उदास हो तुम वफूरे-रब्ज में डूबी हो वक़्फ़े यास हो तुम वो ज़ख़्म क्या है जो दिल में छुपाए बैठी हो
Read More »हमारा पिछड़ापन
लाख कोशिश करो तुम हमसे छीन नहीं सकते हमारा पिछड़ापन मानद उपाधि की तरह प्राप्त पिछड़ावर्ग हमें बहुत पसंद बोले तो छीन पाया क्या कोई माई का लाल
Read More »होली का आनंद नैतिकता के दायरे में
भीगी है चुनर, रंगे हैं गाल आज तो झूम जाने को मन बेकरार है। आइए हुज़ूर रंगों को आपका इंतज़ार है। रंगों का मौसम कहता है आज खुशी में झूम लें।
Read More »सिंदूरी हो गए गाल
होली का रंग तन मन पर तुम बरसाओ भी फाल्गुन का मौसम आया साजन तुम आ जाओ भी आंखें सूनी दिल है उदास, रही न कोई आस है गली-गली में धूम मची है आंगन मेरा उदास है सबके चेहरे खिले-खिले
Read More »होली का गीत
मैं बहुत देर से खड़ा हूं अपनी गली के मोड़ पर अपने मन की उमंग को अपने तन से जोड़ कर लोग निकल पड़े हैं अपने घरों से होली-दुलहन के चेहरे को सजाने-हंसाने प्रकृति-मां का प्यार और दुलार लुटाने मैं इस उम्मीद में खड़ा हूं
Read More »होली आई रे
ए नए साल
ए नए साल तू लाया क्यों नहीं साथ सुलगती नदियों के लिए नीर उदास खड़े पेड़ों के लिए गीत मुरझाते फूलों के लिए ताज़गी वीरान आंखों के लिए खुशी हंसी विहीन होंठों के लिए हंसी।
Read More »राजनीति का हलवा
आने वाले इलेक्शन की कुछ ऐसी ही तैयारी है रूठा कोई है, कोई मनाता और कहीं समझौता है देख रहे हैं दलबदलू किसको कहां पर मौक़ा है? कौन कहां पर हुआ है आऊट किस को मिल गया चौका है?
Read More »आओ चुनाव-चुनाव खेलें
-विद्युत प्रकाश मौर्य बचपन में आईस-पाईस खेलते थे पर अब उनका महत्वपूर्ण शगल बन गया है चुनाव-चुनाव। जल्दी-जल्दी चुनाव न हो तो नेता जी का मन नहीं लगता है। उनका बस चले तो वे हर साल चुनाव करवाते रहें। इससे क्या होगा जनता वोट देने में ही उलझी रहेगी फिर रोटी कैसे मांगेगी। लिहाज़ा उन्होंने पांच साल पूरे करने का ...
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