नेताओं के शब्दों की झड़ी मुहावरों की लड़ी टूटती नहीं चुनाव से पहले लगते हैं वायदों के अंबार झांसे बेशुमार स्वास्थ्य सेवाओं के रोज़गार के, शिक्षा प्रसार के
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जय हो
जय हो, जय हो, जय हो हिमगिरि और रेगिस्तान पूर्वांचल और दक्कनमान नदियां जिसकी शोभा बढ़ाएं ऐसा भारत का मैदान केरल से कश्मीर तक भारत के भूभाग की जय हो, जय हो, जय हो
Read More »नव-वर्ष का संदेश
कारण क्या है मिल नहीं सकते हिन्दूू , मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई सदियों से यह राग अलापें हम सब आपस में हैं भाई फिर कौन शौतान छिपा है हममें, जो ये दंगे करवाता है अब नहीं करनी क़त्लो-ग़ारत, यही संदेश लाता है ....................... साल नया जब आता है
Read More »साक्षात्कार सन् 2017 का
-बलदेव राज ‘भारतीय’ 22 दिसम्बर की रात। सर्दी अपने पूरे यौवन पर थी। श्रीमती जी एवं बच्चे सो चुके थे। चूंकि आज मेरा जन्मदिन था और इस अवसर पर मैंने अपने कुछ साहित्यकार मित्रों को आमंत्रित किया हुआ था। उन सब के खान पान का रूखा सूखा इंतज़ाम श्रीमती जी के ज़िम्मे था। एक अच्छे पति की भांति मैं भी ...
Read More »एक और नया साल
सुबह-सुबह (अक्सर) अख़बार पढ़ कर चौंक जाना। कश्मीर के कुछ बाशिंदे और रक्षा करते जवान का शहीद हो जाना। एक ग़रीब बच्चा हाथ पसारे किसी अधेली के इंतज़ार में।
Read More »नव वर्ष मुबारक
नव वर्ष की पहली किरण चूमे जब धरती का शबाब उड़ जाए दुःखों की ओस महक उठें खुशियों के गुलाब मचल उठे हर कली का दिल भंवरा गाए कोई ऐसा राग थम जाए नफ़रत की आंधी टिम-टिमाएं मुहब्बत के चिराग
Read More »नये साल की ग़ज़ल
दुआ हो कि हर कोई खुशहाल हो मुबारक सभी को नया साल हो खिलें फूल खुशियों के चारों तरफ़ शगुफ्ता चमन की हर एक डाल हो महल में भी खुशियों की गंगा बहे कोई झोपड़ी भी न पामाल हो
Read More »test
test
Read More »समीक्षा
आइए गत वर्ष की समीक्षा करें क्या खोया क्या पाया या एक वर्ष आपने यूं ही गंवाया अगर अपने कोई प्रगति न की हो अपने कार्यों में
Read More »क़लम
मैं क़लम नहीं गुनहगार हूं बन्दिशों में जकड़ी हुई तलवार हूं तने सफ़ेदपोश मुझ से नज़र छुपाते हैं मेरे पांव में धन-दौलत लुटाते हैं।
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