औरत नुमाइश नहीं एक गहन सोच है दिलों की तहों से गुज़रती एक आग है औरत मज़हब नहीं खुद में खुदा है।
Read More »Author Archives: admin
पात्र
मां! का तू बापू को छोड़ सकी थी? दारू की पूरी बोतल पेट में उतार कर आता तो तुझे मारता-पीटता था। सारी ज़िन्दगी उसी से बंधी रही थी। बोल मां? चुप क्यों है?
Read More »क्या गर्भवती हैं
कच्चा पपीता खाने से प्रसूता को दूध अधिक मात्रा में उतरने लगता है। गर्भवस्था के दौरान अंगूर का सेवन करने से निर्बलता और रक्त की कमी नष्ट होती है। संतरे का रस, नींबू का रस, अंगूर का रस स्तन कैंसर से सुरक्षा देते हैं।
Read More »हे प्रकृति मां
अपनी तृष्णा की चाह में मैंने भेंट चढ़ा दिए हैं, विशालकाय पहाड़ ताकि मैं सीमेंट निर्माण कर बना सकूं, एक मज़बूत और टिकाऊं घर, अपने लिए
Read More »राजा साहिब
बुढ़िया की खांसी रुकने का नाम नहीं ले रही थी। उसकी निगाहें दरवाज़े की दहलीज़ पर टिकी हुईं थी। परन्तु उसके घरवाले की वापसी का कहीं नामोनिशान तक नहीं था। उसका घरवाला काफ़ी बूढ़ा हो चुका था मगर उसके चेहरे पर झुर्रियों का निशान तक नहीं था। हाथ में लम्बा बांस का डण्डा, फटा हुआ कुर्ता, सटिट्यों वाला गर्म पट्टू ...
Read More »आपका व्यक्तित्व और आपके हस्ताक्षर
आपके हस्ताक्षर वस्तुतः आपकी चारित्रिक प्रवृत्तियों का एक लघुचित्र है। अधिकांश मामलों में जो लिखावट व्यक्त करती है वही हस्ताक्षर भी व्यक्त करते हैं,
Read More »अमूल्य भारतीय संस्कृति
वह भारतीय संस्कृति जो कभी अनेकता में एकता, शान्ति, बलिदान सत्य अपने ज्ञानदीप से सभी को आलोकित और सभी का पथ-प्रशस्त करने वाली थी
Read More »भावुक लोग
इस प्रजाति के लोग हर कस्बे में मिल जाते हैं ये लोग बड़े भावुक होते जल्दी ही पसीज जाते हैं
Read More »बचपन
वह मुरझाया-सा चेहरा हाथों में पत्थर के दो टूकड़े लिए जिनसे मिटती सी प्रतीत हो रही थी उसकी भाग्य रेखा
Read More »प्रेम का प्रतिशोध
मैंने तुमसे मिलने की बहुत कोशिशें की मगर कोई रास्ता नज़र नहीं आया। तुमने भी पुलिस में रपट लिखाकर बड़ी भूल की। मैंने पता लगा लिया है, उसकी मियाद कम से कम पांच वर्ष तक है। उससे पहले मैं तुमसे मिलूंगा, तो पुलिस द्वारा गिरफ़्तार कर लिया जाऊंगा।’
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