Author Archives: admin

ये शंटिग वटिंग क्या है मैं क्या जानू रे

-रिपुदमनजीत ‘दमन’ एक वह भी समय था जब यातायात का कोई साधन उपलब्ध नहीं था। व्यक्ति पैंया-पैंया चलते न जाने कितने दिनों बाद अपनी मंज़िल-ए-मक़सूद तक पहुंचता था। बेशक कुछ धनी व्यक्ति घोड़ों पर या रेगिस्तानों में ऊंटों पर भी सवारी करते थे परन्तु यह सुविधा एक आम आदमी की पहुंच के परे थी। धीरे-धीरे पहले बैलगाड़ियां और बाद में ...

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पत्रकारिता की पौध

-माधवी रंजना पत्रकारिता के गरिमापूर्ण धंधे से उपजी शौहरत व सुविधा सम्पन्नता के आकर्षण से उग रही आधुनिक पत्रकारिता के नायकों की पौध आजकल अपनी मूल जाति से अलग हो कर कई उपजातियों में विभक्त हो गई है। पत्रकारिता की इस नई पौध-पनीरी से असली पत्रकार छांटना कोई सरल कार्य नहीं। नई पौध-पनीरी के वैज्ञानिक विश्लेषण से इस जाति की ...

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बापू की हत्या 30 जनवरी 1948 को नहीं हुई थी

– दीप ज़ीरवी मोहन दास कर्मचन्द गांधी व गुजरात, गुजरात व भारत एक दूसरे से भिन्न नहीं है यह शाश्वत सत्य है, जैसे यह सत्य है वैसे ही यह भी सत्य है कि बापू की हत्या 30 जनवरी 1948 को नहीं हुई थी। ! ! ! आश्चर्य मत कीजिए। किसी भी व्यक्ति को मारने के लिए केवल उसका देहांत ही ...

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तलाश का सफ़र

 -दलबीर चेतन चारों तरफ़ शोक-सा बना हुआ था कि श्रद्धामठ डेरे के स्वामी प्रकाश नंद नहीं रहे। ख़बर सुनते ही श्रद्धालु एक ख़ास तरह के मानसिक संताप में ग्रस्त हो गए। वह उनके साथ, उनकी शख़्सियत के साथ, उनके प्रवचनों के साथ श्रद्धा की पूर्णतः तक जुड़े हुए थे वे उनकी मृत्यु की ख़बर सुन कर स्तब्ध हो गए। इस ...

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आज्ञाकारी पति होने के फ़ायदे

हर आदमी को घर में पत्नी का आज्ञाकारी ज़रूर होना चाहिए, करवा चौथ का व्रत खुद रखना चाहिए, पत्नी को ब्यूटी पार्लर, किट्टी पार्टियों में ले जाना चाहिए, सुबह उठकर बेड-टी पिलानी चाहिए, तथा उनका लंच-बॉक्स तैयार करना चाहिए, पत्नी की साड़ियां-ब्लाउज़, सलवार-कमीज़ प्रैस करने चाहिए,

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गुड्डी कहां है

बचपन मेरी ज़िंदगी से तो निकल गया था, मगर बचपन दिल से नहीं निकला था- जिसकी वजह से दिनभर मां की टोका-टाकी झेलनी पड़ रही थी। खुल कर हंस भी लेती तो मां की टोक उसे सांप की तरह डसती थी- “गुड्डी, न जाने तेरा बचपना कब जाएगा, यह सब ससुराल में तो नहीं चलेगा।” कभी दिन में देर तक ...

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