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क्या भविष्य होगा इन चैनलों का
ऐ मेरे हमनवां
आओ विचारें आज मिलकर
-जसबीर चावला सभी हिन्दु एक से नहीं होते, न एक से मुसलमान होते हैं। दरअसल एक जैसी कोई दो मूरतें भगवान् ने नहीं बनाई। एक ही पेड़ पर हर पत्ता अलग है। प्रकृति में सूक्ष्मता से वैज्ञानिकों ने अध्ययन कर पाया है, एक सा होते भी कुछ न कुछ फ़र्क़ रहता ही है। तभी तो लोकोक्तियां भी है- ‘‘पांचों ...
Read More »वास्तुदोष के कारण होते रहेंगे प्रदेश विभाजित
-कुलदीप सलूजा भारत सदियों से छोटे-छोटे राज्यों में ही विभाजित रहा है। यदि किसी सम्राट ने अपनी ताक़त के ज़ोर पर इसे एक कर भी लिया तो एकीकरण के कुछ समय पश्चात् ही पुन: विभाजन की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई। जो कि वर्तमान में भी निरंतर जारी है और आगे भी जारी रहेगी यह तय है। क्योंकि भारत की भौगोलिक ...
Read More »बाज़ारवाद के बीच अर्थ खोते त्योहार
दीपावली सप्त दीपों का प्रकाश पुंज है।
–चित्रेश दीपावली अपने आदि रूप में सात अनुषंगिक पर्वों का प्रकाश-पुंज था। समय के साथ जीवन में आई व्यस्तता ने हमें अपने पर्वों और उत्सवों को लघु आकार देने के लिए विवश किया, जिसके फलस्वरूप विभिन्न पर्वों से जुड़े कई कर्मकांड और अनुष्ठान लोक-जीवन में अपनी ...
Read More »होली के रंग और रंगों की दुनियां
-चित्रेश सैंकड़ों साल पहले आदमी का जीवन पूरी तरह प्रकृति से जुड़़ा था। कृत्रिमता का हल्का-सा स्पर्श भी नहीं था उसके कार्य-व्यापार में यही वह वक़्त था, जब उसने ऋतु परिवर्तनों का धूमधाम से स्वागत करने की परम्परा क़ायम की और इसी की एक पुरातन कड़़ी है-होली ! यह ऋतु संधि का-सर्दी के जाने और गर्मी के आने का पर्व ...
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