समाज एवं सामाजिक समस्याएं

सोने का अंदाज़ कैसा है जनाब

-संदीप कपूर कभी औंधे, कभी चित्त तो कभी करवट लेकर सोते समय हम भले ही सब कुछ भूल जाते हैं लेकिन हमारे सोने का हर ढंग दूसरों को हमारे बारे में सब कुछ बता सकता है। यक़ीन नहीं आता न? लेकिन यह सच है कि वैज्ञानिकों ने सोने की हर मुद्रा पर व्यक्तित्व का खुलासा कर डाला है। आइए हम ...

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मिस काल को न करें मिस

-माधवी रंजना अगर आपके पास मोबाइल है तो मिस काॅल भी आते होंगे। कई बार आप काॅल बैक करते हैं तो कई बार इग्नोर कर देते हैं। काॅल बैक करना या अटेंड करना इस बात पर निर्भर करता है कि काॅल किस व्यक्‍त‍ि का है। जो भी हो इस मिस काॅल की सुविधा ने मिस की ज़िंदगी में बहार ला ...

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नारी के हाथ में मोबाइल

-अनू जसरोटिया आज की युवा नारी यानी कॉलेज जाने वाली छात्राएं और ऑफ़िस में कार्यरत महिलाओं के हाथों में मोबाइल फ़ोन होना कहां तक उचित है। क्या ये उनकी आवश्यकता है? या फिर महज़ एक शौक़ या फिर स्टेटस सिम्बल? “नारी तेरी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी” इस बात को पूरी तरह ग़लत साबित कर ...

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फ़ैशन का असर

-सुमन अपने पसंदीदा हीरो, हीरोइनों व कलाकारों की भांति दिखने की प्रवृत्ति ने बच्चों में फ़जूल ख़र्च को बढ़ावा दिया है। अधिकांश लोगों व युवाओं के पास मनोरंजन का साधन टेलीविज़न है। लेकिन इन दिनों प्रसारित कार्यक्रमों में प्रचलित फ़ैशन के चलते लोगों की जेब ढीली हो रही है। बात सिर्फ़ पहरावे की ही नहीं हो रही, घरेलू साज-सज्जा से ...

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कैसी होनी चाहिए पहली मुलाक़ात

-दीपक कुमार गर्ग अंग्रेज़ी में एक कहावत है “फर्स्ट इम्प्रेशन इज़ लास्ट इम्प्रेशन” इसको हिन्दी में परिभाषित किया जाए तो यह कहा जाएगा कि आप जिस व्यक्‍त‍ि को पहली बार मिलने पर जिस तरह का व्यवहार करते हो उस व्यक्‍त‍ि के दिमाग़ में ताउम्र के लिए आपके बारे में वैसी ही छवि बन जाती है। ऐसे हालात में कौन नहीं ...

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सोचें वक़्त से पहले

-एसः मोहन वैसे तो हमारे समाज में लड़की पैदा होना ही मां-बाप को एक बोझ का अहसास कराता है। लड़की पैदा करने की हीन भावना शनैःशनैः लड़की के साथ-साथ बढ़ती जाती है। लड़की के जवान होते ही मां-बाप की आपाधापी चरम सीमा पर पहुंच जाती है। फलतः मां-बाप बिना सोचे समझे ऐसे धोखे का शिकार हो जाते हैं जिसका प्रायश्‍च‍ित ...

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ये कहां आ गए हम

-दीप ज़ीरवी अबाध निःशब्द निरंतर गतिमान समय सरिता की धारा के संग बहते-बहते कई संवत्सर निकले, कई युग बीते, कई जन, जन-नायक बनकर उभरे और विलीन हो गए। समय सरिता का एक और मोड़ आया 2015 का जाना एवं 2016 का आना। 2015 को जाना था वह गया एवं 2016 आना था, 2016 के शैशव काल में काल के कराल में ...

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तनावः सेक्स का दुश्मन

– सुनीता सिंह प्रकाश पटेल ने जब अपनी दिनचर्या पर ध्यान दिया तो वह अंदर तक घृणा से भर गया। उसकी पत्‍नी के चिकित्सक ने उसे अपने कार्यक्रम में सेक्स को भी जोड़ने के लिए कहा था क्योंकि उनकी शादी को 4 साल हो गए थे और उनका कोई बच्चा भी नहीं था। ऐसा इसलिए था क्योंकि वो हमेशा अपने ...

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मनुष्य विकास क्या सचमुच बंदर से हुआ है?

-धर्मपाल साहिल आज से लगभग दो सौ साल पूर्व इंग्लैंड वासी चार्लस डार्विन ने जीव विकास का सिद्धान्त पेश कर दुनियां भर में तहलका मचा दिया था। उनके इस सिद्धान्त को दुनियां भर के स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाया जा रहा है और पूर्ण मान्यता भी मिली है। डार्विन का सिद्धान्त “प्राकृतिक वर्ण” के नाम से प्रसिद्ध हुआ। डार्विन ने कई प्रयोगों ...

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क किताब बनाम क कम्प्यूटर

  -धर्मपाल साहिल किताबें इन्सान की सब से अच्छी दोस्त होती हैं। जब आपके साथ कोई न हो तब एक अच्छी किताब आपका बसा-बसाया संसार सिद्ध होती है। दुनियां भर का समस्त इतिहास, संस्कृति, दर्शन, यहां तक कि हर क़िस्म का ज्ञान किताबों में संरक्षित और सुरक्षित है तथा किताबों द्वारा ही पुरानी पीढ़ी से नयी पीढ़ी तक पहुंच रहा ...

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