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विजय दशमी के दिन

रावण का पुतला जलाते समय लाखों, करोड़ों लोगों का केवल एक ही मत यह होता है कि रावण को माता सीता के अपहरण की सज़ा युगों के बाद भी मिल रही है। किन्तु आज के सभ्य कहे जाने वाले समाज में तो एक-दो नहीं बल्कि लाखों रावण मौजूद हैं।

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निर्निमेष

मैं छत की मुंडेर तक जा पहुंचा। वह युवती तक़रीबन तीन मीटर की दूरी पर थी। अभी-अभी मेरे शरीर के अंदर किसी वस्तु ने प्रवेश किया। मैं रंगे हाथ पकड़ा गया था। उस युवती ने देखा ... तब मैं। लगा जैसे कुछ उतरता चला गया है। अनंत से ... अनंत तक।

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कैसे-कैसे खिलाड़ी

इनकी लिस्ट पूरे विश्व में सबसे लम्बी हो सकती है। ऐसे खिलाड़ी हमें हर गली मोहल्ले में मिल सकते हैं। वैसे इन्हें राजनीति का खिलाड़ी यानी नेता भी कह कर पुकारा जाता है। इनकी गेम का कोई मुक़ाबला नहीं कर सकता।

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वो पंडित भला किस काम का जो

देख... यजमान की दरियादिली... पंडित जी! ऊपर से नीचे तक मुस्काए, उनकी वीभत्स मुस्कुराहट देखकर नौ के नौ ग्रह घबराए... पंडित जी ने आव देखा न ताव... झोले से काग़ज़ पेन निकाला... ठीक की गले की मायावी माला... चौकड़ी मार... अपनी कंगाली झाड़... सामग्री लिखने लगे

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राष्ट्र निर्माण या चरित्र निर्माण

हम अपनी जड़ से कोसों दूर जा निकले हैं। आज नैतिक मूल्यों को बुद्धू बक्सा (टी.वी.) ही चबा निगल रहा है। क्या ड्रामे और क्या धारावाहिक सब में विवाहेत्तर संबंधों में उन्मुक्तता रखने, बरतने वाले बोल्ड एवं ब्यूटीफुल चरित्रों का बोल-बाला दिखाया जा रहा है।

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वक़्त से डरो

दो पुत्रों और एक पुत्री की मां बीरो को ज़िंदगी में कोई सुख नहीं मिला था। दोनों पुत्र अपना विवाह होते ही दूर-दूर जा बसे थे। मां और बहन किस हालत में हैं उन दोनों ने मुड़ कर भी नहीं देखा। ऐसे में पड़ोस में रह रहे राय बाबू को व्यंग्य बाण छोड़ते हुए ज़रा भी दया नहीं आती थी।

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आधुनिक सीता

मुझे ज़रूरत भी नहीं है मालूम करने की क्योंकि मैं अच्छी तरह जानता हूं ऐसे लोगों को, जो टाइम पास करते हैं और फिर उनकी भी क्या ग़लती, जब कोई खुद ही अपना सब कुछ सौंपने को तैयार हो।

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सुन्दरता बिकती है, बोलो ख़रीदोगे

आज सुन्दरता के अर्थ ही बदल गये हैं। सुन्दरता अब अन्य बिकाऊ वस्तुओं की तरह बाज़ारी वस्तु बनकर रह गई है, सौंदर्य का व्यापारीकरण हो गया है। प्राकृतिक सुन्दरता वाली बातें अब बीते ज़माने के क़िस्से बनकर रह गए हैं।

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आमदनी

अन्दर से डॉ. कालरा की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी। वह अपनी नर्स पर बिगड़ रही थी, जिसने हाल ही में उसके क्लीनिक में नौकरी पाई थी, "सुनीता अगर तुम इसी तरह नॉर्मल डिलीवरी करवाती रही तो वो दिन दूर नहीं जब कालरा क्लीनिक बंद हो जाएगा,

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