शबनम शर्मा

आमदनी

अन्दर से डॉ. कालरा की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी। वह अपनी नर्स पर बिगड़ रही थी, जिसने हाल ही में उसके क्लीनिक में नौकरी पाई थी, "सुनीता अगर तुम इसी तरह नॉर्मल डिलीवरी करवाती रही तो वो दिन दूर नहीं जब कालरा क्लीनिक बंद हो जाएगा,

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पढ़ाई

आज दिव्या दोपहर में अपने कमरे में गई, लेकिन अभी शाम के 8 बजने को आये, बाहर नहीं निकली। ये बच्ची हमारे पड़ोस में ही रहती है। मैं अपना काम निबटाकर बाहर निकली तो उसकी मम्मी से राम सलाम हुई। वो मुझे आज कुछ खिन्न सी नज़र आई।

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कन्या भ्रूण हत्या

मानव सभ्यता और संस्कृति में लड़कियां हज़ारों वर्ष आगे हैं। यही कारण है कि हम लड़की को देवी कहते हैं, लड़के को देवता नहीं कहते। परंतु अफ़सोस की बात तो यह है कि इतना सब जानते हुए भी कन्या भ्रूण हत्या क्यों?

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बच्चों में शून्य होती संवेदनायें

भ्रमित हैं हम ये सोचकर कि आधुनिक भौतिक व्यवस्था हमारी जीवन-शैली को सुखी बना रही है, पर किस क़ीमत पर बना रही है हम यह नहीं देख पा रहे हैं। हमारे बच्चे नई जीवन शैली की जो क़ीमत चुका रहे हैं ये सोचने की किसी को फुर्सत ही कहां है?

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26 जनवरी

–शबनम शर्मा आज नया साल चढ़ा है। अभिमन्यु को गये पूरे तीन साल हो गये। वीरां हर रोज़ घर का सारा काम निपटाकर बाहर आंगन में बैठ जाती। जैसे ही उसे कोई साइकिल की घंटी बजती सुनाई देती, उचक कर देखती। डाकिये के आने का समय है। सरकार ने अभिमन्यु को वीर चक्र देने की घोषणा की थी। पूरा सप्ताह ...

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