आकाश पाठक

काश उस सफ़र पर

काश….उस सफ़र पर तुम चले न होते। काश…. तुमने अपनी उंगलियों के पोरों से मेरे आंचल को न छुआ होता तुम मेरे लिये गंगाजल होते।

Read More »

काल्पनिक नज़रें

मैं उसी सेल्ज़गर्ल के बारे में सोच रहा था, ज़्यादा उम्र नहीं थी उसकी, गज़ब की सुन्दर थी वह। दोस्तों की क्या मैंने स्वयं अपनी नज़रों को उसके शरीर पर थिरकते महसूस किया था। वह कभी-कभी हमें रंगे हाथों पकड़ लेती तो ‘झेंप’ जाती।

Read More »

क्या यही प्यार है

युग-युगान्तर तक अपनी अलग पहचान बनाये रखी प्रेम, प्यार ने चाहे वह सीता जी-राम जी का हो या लैला-मजनूं के क़िस्से हों। पर अब सब कुछ बदल रहा है

Read More »

सिसकता हथियार- बेलन

लेकिन दुर्भाग्य! बेलन आज सिसकता नज़र आ रहा है और हसबैण्डों का समाज ठहाके लगाता हुआ साफ़ नज़र आता है। यह स्थिति पत्नियों के लिए शर्मनाक है,

Read More »

आपका और उनका दिन मैरिज एनवर्सरी

दाम्पत्य में सामंजस्य के लिए या कुछ कमियों को दूर करने के लिए संकल्प का दोहराव सुखद मोड़ लाता है। कुल मिलाकर अगर यूं माना जाए कि पति-पत्नी के बीच 'मैरिज एनवर्सरी' वाले रोज़ सिर्फ़ स्पर्श हो बातों का, यादों का।

Read More »

तसवीर

एक तसवीर जो मैंने बनाई उसमें रंग नहीं थे आकृतियां नहीं थी जज़बात नहीं थे इस लिए वह मूक थी

Read More »

निर्निमेष

मैं छत की मुंडेर तक जा पहुंचा। वह युवती तक़रीबन तीन मीटर की दूरी पर थी। अभी-अभी मेरे शरीर के अंदर किसी वस्तु ने प्रवेश किया। मैं रंगे हाथ पकड़ा गया था। उस युवती ने देखा ... तब मैं। लगा जैसे कुछ उतरता चला गया है। अनंत से ... अनंत तक।

Read More »

और उसकी शादी हो गई

काजोल ने अजय के साथ….. शादी कर ली थी। मैं गुमसुम की अवस्था में बैठा हुआ सोच रहा था कि आख़िर काजोल की ऐसी कौन सी मजबूरी थी, जिसके कारण उसे अजय के साथ शादी करनी पड़ी। मैंने अपने दिल को बहुत ही मज़बूती के साथ संभाल रखा था।

Read More »

ख़तरनाक साबित हो सकता है शर्मीलापन

-आकाश पाठक हमारी संस्कृति में शर्मीलापन विरासत में मिलता है यह कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। युवतियों में प्रायः शर्मीलापन अधिक होता है और इस क़दर समाया होता है कि यह उनकी ज़ंजीर बन जाती है। यह सही है कि शर्म नारी का गहना माना जाता है मगर यह भी उतना ही सही है कि आभूषण हर समय नहीं ...

Read More »

शादी के बाद क्यों महत्त्व देती हैं महिलाएं नौकरी को

-आकाश पाठक आधुनिक समाज में क़दम-दर-क़दम हो रही प्रगति से जहां महिलाओं को विचारों में, घूमने-फिरने में आज़ादी मिली है, वहीं यह तथ्य भी स्पष्‍ट होता जा रहा है कि महिलाएं शादी के बाद भी नौकरी को प्राथमिकता देती हैं या दे रही हैं। भले ही उनके पतियों की मासिक आय एवं पारिवारिक परिस्थितियां सुदृढ़ क्यों न हों। मगर आधुनिक ...

Read More »