बलदेव राज भारतीय

बापू की भारत यात्रा

सुनो, चरखायान को वापस मोड़ लो मैं आगे नहीं जाना चाहता। जिस सत्याग्रह को मैंने अपना हथियार बनाया था। उसी सत्याग्रह हथियार बना लिया लोगों ने।

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नए वर्ष का प्रवेश द्वार

जी हां, सबकी रग-रग में बस चुका, मैं हूं भ्रष्टाचार। नववर्ष में भी बढ़ेगा अभी मेरा परिवार। झट से खोलो द्वारपाल, मेरे लिए नववर्ष का द्वार।’

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अधिकार

मैं स्वतन्त्र हूं, स्वाधीन हूं, आजा़द हूं मुझे संविधान कुछ मौलिक अधिकार देता है भिन्न-भिन्न प्रकार की विभिन्नताओं, विविधताओं और असमानताओं के बीच समानता का अधिकार

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राजनीति का हलवा

आने वाले इलेक्शन की कुछ ऐसी ही तैयारी है रूठा कोई है, कोई मनाता और कहीं समझौता है देख रहे हैं दलबदलू किसको कहां पर मौक़ा है? कौन कहां पर हुआ है आऊट किस को मिल गया चौका है?

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जय हो

जय हो, जय हो, जय हो हिमगिरि और रेगिस्तान पूर्वांचल और दक्कनमान नदियां जिसकी शोभा बढ़ाएं ऐसा भारत का मैदान केरल से कश्मीर तक भारत के भूभाग की जय हो, जय हो, जय हो

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साक्षात्कार सन् 2017 का

-बलदेव राज ‘भारतीय’ 22 दिसम्बर की रात। सर्दी अपने पूरे यौवन पर थी। श्रीमती जी एवं बच्चे सो चुके थे। चूंकि आज मेरा जन्मदिन था और इस अवसर पर मैंने अपने कुछ साहित्यकार मित्रों को आमंत्रित किया हुआ था। उन सब के खान पान का रूखा सूखा इंतज़ाम श्रीमती जी के ज़िम्मे था। एक अच्छे पति की भांति मैं भी ...

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