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क़तार

दिन-प्रतिदिन लंबी होती जा रही यह क़तार... क़तार-यह बेरोज़गारी की क़तार-यह लाचारी की हर दिन एक संख्या जुड़ती जा रही है इसमें

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गृहलक्ष्मी की महिमा निराली

आपकी यह पूजा अवश्य सफल होगी। देवी लक्ष्मी तो कभी सामग्री ग्रहण करती नहीं, जबकि गृहलक्ष्मी हर बार खुश होकर आपकी वंदना-सामग्री स्वीकार कर लेगी और हो गई आपकी पूजा सफल।दीवाली के मौक़े पर आपकी पूजा दिवाले से बची रहकर सफल हो

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वृक्ष

हवा के झोंके से उसकी ज़ुल्फ़-सी लहराई तपती दोपहरी में मुझे राहत-सी आई सबके दिलों पर वो करते हैं राज़ पंछी भी करते हैं उन पर नाज़

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उपहार

मां! तुम भी एक बात ध्यान से सुन लो। तुम उसकी मार सह सकती हो.... परन्तु मैं नहीं। उन्हें यह बात अच्छे ढंग से समझा देना कि मेरे ऊपर हाथ न उठाएं। नहीं तो अच्छा नहीं होगा। तुम अपने बापू के लिए ऐसा कह रही हो! क्या कर लोगी तुम?

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डूबते सूरज के साथ

मां के हाथों का बना एक सफ़ेद मेज़पोश है जिस पर मां ने हरे रंग के धागे से कश्मीरी कढ़ाई की थी। मैंने झुक कर उसे उठा लिया और शिव पार्वती वाली तसवीर उसमें लपेट ली। तभी डोंगे का ध्यान आया। रसोईघर में पहुंची और डोंगे को वहीं पड़ा देख मेरी जान में जान आई।

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रिश्वत दें, लें पर प्यार से

मैं तो नहीं पर अपने गांव के बोधराम शास्त्री का कहना है- रिश्वत लेने के बाद मंदिर जाने को मन करे तो हो आएं, इससे मन की शुद्धि तो नहीं होती पर शुद्धि का भ्रम ज़रूर होता है। रिश्वत देने व लेने को आदत न बनाएं, इसे शौक़ मानकर लें और दें।

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इस बार दीवाली पर

इस बार दीवाली पर हसरतों की ख़ाक आंसुओं में गूंथ मन के चाक पर चढ़ा आहों की भट्टी में तपा दिल के दिये बनाएंगे विश्वास के तेल में भिगो कर प्रेम की बाती

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दीवाली

आंगन में क़दम पड़ते ही ठिठक गये देख मां को बैठा बरामदे में लगा आज कड़ाही, नहीं चढ़ी खीर पूड़े नहीं बने मां ने बत्तियां नहीं बाटी भगवान नहीं नहलाए नये कपड़े नहीं पहनाये

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