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सोचा न था

यह सुनते ही भड़क गई थी महक और तुम्हारे कमरे से जाते ही सोमेश पर बरस पड़ी “इतनी ही सुन्दर है वह तो उसी से कर देती न मां आपकी शादी, मुझसे क्यों की।”

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    वह एक दिन

‘ये कैसे हो सकता है?’ मनु ग़ुस्से से अपनी सफ़ाई पेश करता हुआ बोला  ‘मैंने अपने जिस्म का खून देकर ये नोट हासिल किये थे....मुझको खाना चाहिये मेरे बच्चे भूखे हैं।

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“आर्थिक बोझ तले किसान”

एक और गहन समस्या है किसानों की ज़रखे़ज़ ज़मीन को सरकार द्वारा सस्ते भाव पर ज़बरदस्ती बेचा जाता है। इससे वे अपनी भूमि के टुकड़े को गंवा बैठते हैं।

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आवाज़

देख मैं तेरे शहर में भी आ गया क़लम को अपने दर्द की ज़ुबान बना गया तुम और तेरा प्यार सदा रहे सलामत

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रात भर

जब सितारों से बात होती है। बड़ी लम्बी सी रात होती है।। चांदनी से भरे उजालों में। एक परछाईं साथ होती है।। रात भर बोलते है सन्नाटे। रात भर किससे बात होती है।।

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समर्पिता

लगा जैसे धरती हिली हो, कोई भूचाल आया हो। घिग्घी-सी बँध गई दोनों की क्योंकि दोनों ही बातों में से कुछ भी कर पाना, असंभव ही तो था।

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समय का सदुपयोग

ख़ाली समय में बैठकर किए रुचि के काम जैसे बुनाई-कढ़ाई इत्यादि स्वयं बोलेंगे कि इस घर में समय का ठीक ढंग से प्रयोग किया जा रहा है।

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गृहस्थी

मैं चिन्ता में गहरे समा रहा था कि पत्नी बोल पड़ी, “सोच क्या रहे हो? उसे कोई पूछता भी था? कितनों को तो तुम दिखा चुके थे। कोई उसे छापने को तैयार था?”

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करवा चौथ

आंसुओं की अविरल धारा बह-बह कर अख़बार में छपी उसकी तस्वीर को भिगो रही है और वह दूर कहीं दूर अतीत की यादों में खो गई

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मातृत्व

यह बात सुनकर किरण भी ग़ुस्सा होते हुए बोली, 'आप यह क्यों नहीं कहते कि आप मुझे यहां पत्नी बनाकर नहीं नौकरानी बनाकर लाए हैं?'

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