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बच्चों के चरित्र-निर्माण में परिवार की भूमिका

बच्चों की स्थिति आज जैसी है, उसमें थोड़ा-बहुत हाथ भले ही संस्कारों का हो लेकिन अधिकांशतः उसके चरित्र पर माता-पिता, परिवार और समाज द्वारा डाला गया प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव प्रमुख होता है। बच्चा हमेशा वही सीखता है जो उसके घर या परिवार अथवा उसके आस-पड़ोस में घटित होता है। परिवार बच्चे का प्रथम सामाजिक वातावरण होता है। परिवार शांतिप्रिय ...

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नारी को पूर्ण बनाते हैं सोलहों सिंगार

-पूनम दिनकर नारी के सौंदर्य में सिंगार का एक अलग ही स्थान है। प्राचीन काल से ही नारियों के सम्पूर्ण सौंदर्य के लिए सोलह सिंगारों का वर्णन मिलता आ रहा है। नारी के वे सोलह सिंगार क्या हैं, आइए इसे जाने। 1. मालिश:- इससे शरीर की कांति बढ़ती है। त्वचा का रख-रखाव हर मौसम में बेहद ज़रूरी है। त्वचा में ...

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जनता का चालान समारोह

-शैलेन्द्र सहगल मैं एक पुलिस नाके से बोल रहा हूं। आज यहां पर ए.एस.आई – सरदार सिंह अपने पूरे तामझाम सहित मौजूद हैं और कोटा पूरा करने के लिए अर्थात् रिकॉर्ड पूरा करने के लिए चालान समारोह का आयोजन हो रहा है। मैं पत्रकार हूं मुझे पूर्व निमन्त्रण भेज कर तो बुलाया नहीं गया था। आम परिस्थितियों में तो पत्रकारों ...

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ख़ुदगर्ज़

“सिस्टर जल्दी करो पेशेंट को ऑपरेशन थियेटर पहुंचाओ, फौरन ऑपरेशन करना पड़ेगा।” बदहवास से डॉक्टर रवि नर्स से कह रहे थे। उनके सहकर्मी देख रहे थे कि सदैव संयत रहने वाले डॉक्टर रवि इस पेशेंट के आने से काफ़ी परेशान थे। “विमल, देख यार इस पेशेंट का ऑपरेशन पूरे ध्यान से करना।” डॉक्टर रवि अपने मित्र व सहकर्मी विमल से ...

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