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तमाम उम्र का निचोड़ बुढ़ापा -दीप ज़ीरवी

-दीप ज़ीरवी यौवन उफनती हुई स्वच्छंद धारा। इस धारा का प्रवाह समय के साथ-साथ शनै:-शनै: मंद पड़ते-पड़ते जब ठहराव की सी स्थिति को प्राप्‍त हो जाता है उस अवस्था को बुढ़ापा कहते हैं। यौवन यदि मानव जीवन की सुनहरी रूपहली दोपहर है तो बुढ़ापा शांत नीर व संध्या बेला। यह शाश्‍वत सत्य है कि दोपहर चाहे जितनी लम्बी, सुनहरी, रूपहली ...

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बहता पानी

यदि भगवान् हमारा महबूब है तो महबूब से डरना प्यार नहीं। वास्तव में डराने वाली कोई ऐजंसी भगवान् और मनुष्य के बीच में विचरन कर रही है।

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वक़्त के साथ बदली है मर्द मानसिकता भी

-मंजुला दिनेश   आदिकाल से ही स्त्री-पुरुष संबंधों पर विभिन्न कोणों से विचार मंथन जारी है। यह एक ऐसी गुत्थी है जो समय परिवेश और परिस्थितियों के अनुरूप कभी उलझती और कभी सुलझती रही है। स्त्री को ऐसी अनबूझ पहेली के रूप में प्रस्तुत किया गया जिसे आम आदमी तो क्या देवता भी समझने में सक्षम नहीं। औरतों को शंका ...

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शून्य महाशून्य या परिपक्वता

जब नारी परिपक्वता की ओर क़दम बढ़ाती है यह पुरुष जाति शून्य की ओर क़दम बढ़ाती है।जब नारी परिपक्वता की तरफ़ अग्रसर होती है तब यह पुरुष जाति महाशून्य की ओर

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औरत पर अत्याचार आख़िर सच्चाई कितनी

-धर्मपाल साहिल भारतीय इतिहास के पृष्‍ठ महिलाओं की गौरवमयी कीर्ति से भरे पड़े हैं। शास्त्रानुसार जहां स्त्रियों की पूजा होती है, वहां देवता वास करते हैं। औरत को गृहलक्ष्मी, गृहशोभा, सुरोपमा आदि उपमाओं से सुशोभित किया गया है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नारी ने पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिला कर साथ दिया तो कई बार उससे दो ...

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