रिश्ते

हमसफ़र ग़र हमराज़ न हो तो

-नील कमल ‘नीलू’ ज़िंदगी के सफ़र की मुख़्तलिफ़ राहों पर, मुख़्तलिफ़ मुक़ामों पर कहीं न कहीं किसी हमराज़ की ज़रूरत अकसर पेश आ ही जाती है। क्योंकि अगर अपने राज़ दिल के अंदर ही दबा लिए जाएं, तो वो राज़, राज़ नहीं रहते बोझ हो जाते हैं। दिल की हर बात हर राज़ कभी न कभी, किसी न किसी के ...

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रिश्तों के भीतर झांके

  -जसबीर चावला इस संसार में हर प्राणी प्रशंसा और प्यार का भूखा है। बचपन में मां-बाप का लाड़-दुलार, शिक्षकों, गुरुजनों का स्नेह, दोस्तों-हमजोलियों का साथ, मनुष्य के व्यक्‍ति‍त्व (पर्सनैलिटी) के विकास के लिये बहुत ज़रूरी है। जवानी में जीवन-साथी का प्रेम इसीलिए यौन-संतुष्‍ट‍ि से ज़्यादा मायने रखता है और शायद इसीलिए पति-पत्‍नी का संबंध दोनों से विशेष ध्यान की ...

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घर, घरवाला, घरवाले

-दीप ज़ीरवी घ + र = घर। मात्र शब्द जोड़ नहीं है घर। मकान बनाने में, कोठी-बंगला बनाने में तो मात्र कुछ माह अथवा कुछ बरस लगते हैं। घर बनाने में पुश्तें लग जाती हैं। स्नेह + सामंजस्य + संस्कार = संस्कृति, संस्कृति + संस्कारित सदस्य = घर परिवार। इनमें से एक भी तत्त्व के अभाव में घर अपूर्ण है अर्थहीन है। घर पीढ़ी दर ...

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क्यों कांपती हैं गृहस्थ की दीवारें

-गोपाल शर्मा फ़िरोजपुरी घर समाज की प्रथम इकाई है। घरों से मुहल्ला, मुहल्लों से गांव और गांवों से शहरों और नगरों का निर्माण होता है। घर एक ऐसा सुन्दर स्थान होता है जहां मनुष्य स्वयं को सुखद और आनंदित अनुभव करता है। मनुष्य ही नहीं अपितु जीव-जंतु, पशु-पक्षी भी अपने-अपने घरों और घौंसलों में स्वयं को सुरक्षित मानते हैं। एक घर ...

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भावी पति-पत्‍नी में डेटिंग कितनी आवश्यक

विवाह जीवन का एक ऐसा अटल मोड़ है जो प्रत्येक व्यक्‍ति के जीवन में देर या सवेर आकर रहता है। वैवाहिक बन्धन में बन्धने से पूर्व सगाई की रस्म निभाई जाती है। सगाई से लेकर विवाह तक का अन्तराल एक ऐसा नाज़ुक दौर है जिस पर वैवाहिक जीवन की क़ामयाबी या नाक़ामयाबी टिकी होती है। सगाई की रस्म के साथ ...

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पति-पत्‍नी का रिश्ता दो दिलों का अटूट बंधन

दुनियां के सभी रिश्तों से सर्वोपरि माना जाने वाला रिश्ता है पति-पत्‍नी का रिश्ता। पति-पत्‍नी का रिश्ता इतना महत्वपूर्ण होता है कि दोनों अपने इष्‍ट देव को साक्षी मान कर जीवन भर साथ निभाने का वायदा करते हैं। जब एक लड़की दुलहन बन कर पति के घर में आती है तो वहां का सब कुछ उसके लिए नया और अनजाना होता ...

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मेरे तुम्हारे हमारे मां-बाप

-दीप ज़ीरवी मानव सामाजिक जीव है। परिवार की सबसे छोटी इकाई है मानव। परिवार, जो समाज की सब से छोटी इकाई है। इस समाज को अनेक संस्थाएं संचालित करती हैं इन अनेक संस्थाओं में से एक संस्था है ‘शादी’। जब शबनमी यौवन की पुरवाई, अल्हड़ता को झंकृत करने को आतुर होती है, ऐसे मौसमों में शहनाइयां मनों को बाग-बाग कर ...

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क्या आप प्रेमी या प्रेमिका की तलाश में है?

 -दीपक कुमार गर्ग आजकल की नौजवान पीढ़ी के लड़के-लड़कियां अक्सर ही अपने जीवन में एक सच्चे प्रेमी या प्रेमिका की तलाश में रहते हैं। परन्तु दुख के साथ कहने में आता है कि सच्चा प्रेम बहुत ही कम लोगों के नसीब में होता है। ज़्यादातर लोग प्रेम के नाम पर धोखा खाते है और उनकी ज़िंदगी बर्बाद हो जाती है। ...

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सपनों का राजकुमार और सपनों की राजकुमारी

-दीपक कुमार गर्ग शादी से पहले लड़के और लड़की दोनों की ओर से एक दूसरे को देखने की रस्म हमारे समाज में एक रिवाज़ बन चुकी है। परंतु कई बार देखने-दिखाने के चक्कर में केवल बाहरी रंग रूप से प्रभावित होकर ग़लत फ़ैसले भी ले लिए जाते हैं। पसंद न आने पर मना करना तो पहली शर्त ही होती है। ...

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पत्‍नि‍यां क्या चाहती है पतियों से?

-दीपक कुमार गर्ग पत्‍नि‍यां हमेशा यह कामना रखती हैं कि पति उनके साथ हमेशा ईमानदार बना रहे। सदा सच बोले, कभी भी झूठ न बोले। परन्तु कड़वा सच सुनने की पत्‍नि‍यों की आदत नहीं होती। पतियों के लिए ज़रूरी है कि पत्‍नि‍यों के साथ नासमझी करके अपने घर को युद्ध का मैदान न बनाएं। बातचीत में संतुलन बनाए रखें। मैं ...

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