रिश्ते

महत्वाकांक्षा का पलड़ा ममता पर भारी क्यूं?

 -विजय रानी बंसल प्राचीन काल में महिलाएं केवल घर की चारदीवारी तक ही सीमित थी। घर-गृहस्थी सँभालना ही उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य था। परन्तु वक़्त के साथ-साथ विचारधाराएँ बदलीं, मान्यताएं बदलीं। महिलाएं घर की चारदीवारी से निकल कर बाहर की दुनियां में आयीं और उन्हें मिला शिक्षा, आज़ादी और कुछ कर दिखाने वाली सम्भावनाओं का विस्तृत आकाश। इसमें सबसे ...

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ससुराल: नया घर नए रिश्ते

विवाह एक ऐसा संस्कार है जो केवल दो दिलों को ही नहीं मिलाता बल्कि दो परिवारों को भी बांधता है। लड़के और लड़की के नए रिश्ते बनते हैं। यह रिश्ते इतने नाज़ुक होते हैं कि इन्हें निभाने के लिए बहुत सूझबूझ से काम लेना चाहिए। हालांकि शादी के बाद लड़का और लड़की दोनों के नए रिश्ते बनते हैं लेकिन क्योंकि ...

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सहज प्रीत की सहज (साखी) कहानी

-दीप ज़ीरवी भारत भूमि की विराट कैनवस है जिस पर समय के चित्रकार ने अपनी तूलिका से समय-समय पर विभिन्न रंग बिखेरे हैं। कहीं महाभारत का समरांगण तो कहीं गोकुल, कहीं वृन्दावन। कहीं दक्षिण के पठार, कहीं हिमालय को छेड़ कर निकलती शीतल बयार, समय के चित्रकार की यह अनुपम कला कृतियां ही तो हैं। मेरे भारत के कण-कण में ...

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क्यों होता है प्यार अंधा

–सुरेन्द्र सिंह चौहान ‘काका’ मैं वह रात कभी नहीं भूल सकती, जब मैं हाथों में चाय का प्याला लिए घड़ी की सुइयों को देख रही थी। मैं हाल ही में चंडीगढ़ से मुम्बई आई थी। आज की शाम मैंने अपने प्रेमी चेतन के साथ गुज़ारी थी। मुझसे विदा लेने के बाद वह एक अन्य युवती के साथ फ़िल्म देखने चला ...

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कैमिस्ट्री ऑफ़ लव क्या है?

  -धर्मपाल साहिल प्यार के बारे में जितना मुंह उतनी बातें जितना कहा उतना थोड़ा। कोई कहे प्यार अंधा होता है, कोई माने यह किसी से भी, कहीं भी, कभी भी हो सकता है। न उम्र की सीमा, न जन्म का बंधन। किसी का विश्‍वास है प्यार किया नहीं जाता है। कोई इसे क़िस्मत का खेल तो कोई दिलों का ...

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यही तो प्यार है

  -मिलनी टण्डन रसिक प्रिया प्यार एक ऐसा जज़्बा है जिस पर नियंत्रण नहीं हो सकता। इसके भाव या चिन्ह चेहरे पर झलक ही आते हैं। आपके व्यवहार में भी परिवर्तन आ जाता है। इसे दूसरा पक्ष समझ लेता है। यही कि आप को उससे प्यार हो गया है। आप भी इन लक्षणों को समझें जो बताते हैं कि आपको ...

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परख विज्ञान की, प्रेम को नशा मानते हैं वैज्ञानिक भी

-डॉ.सन्त कुमार टण्‍डन ‘ रसिक’ प्रेम का एक नशा होता है जो दीवानगी पैदा कर देता है। तभी कहते हैं लव इज़ ब्लाइंड। प्रेम की कोई जाति, धर्म, उम्र नहीं होती। यह कोकीन या किसी भी मादक द्रव या पदार्थ की तरह चढ़ता है। यह बात मनोवैज्ञानिक तो मानते ही थे, अब वैज्ञानिक भी मानते हैं। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने ...

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मां-बाप, बच्चे और जनरेशन गैप

-दीप ज़ीरवी ईश्‍वर के चरण, भगवद्प्रसाद इत्यादि अलंकारों से सुसज्जित माता-पिता जिन के कारण औलाद संसार में आती है, दुनियां देखती है, दुनियादारी सीखती है। वह मां-बाप जिन की दुनियां उनके बच्चे होते हैं उनके बच्चों से दुनियां होती है उनकी। बहुतेरे मां-बाप बेटा हो अथवा बेटी वो अपने प्रत्येक बच्चे को अनूठा प्यार और दुलार देकर पालते पोसते हैं ...

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टूटे संयुक्‍त परिवार पड़ी संस्कृति में दरार

-शैलेन्द्र सहगल संस्कारों के बिना संस्कृति उस कलेंडर की भांति है जो उस दीवार पर टंगा रह जाए जिस घर को पुश्तैनी सम्पत्ति के रूप में जाना तो जाए मगर रहने के लिए, जीने के लिए अपनाया न जाए उसे ताला लगाकर उसका वारिस नए और आधुनिक मकान में रहने चला जाए। कलेंडर बनी संस्कृति में उन तिथियों की भरमार ...

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