गौरतलब है कि रावणत्व का वृक्ष फल-फूल रहा है, इसका शिखर आकाश में व जड़ पाताल में है। केवल शाखाएं तोड़ देने या प्रांकुर काट देने से इसकी समाप्ति मुमकिन नहीं।
Read More »समाज और समस्याएं
आज के बच्चों को स्वतन्त्रता
अगर यूं कहा जाये कि बच्चों की स्वतंत्रता पूरी तरह उनके हित की या समाज और देश हितकारी है तो सरासर ग़लत होगा, क्योंकि अकेले फूल शायद ही कभी मिले हों कांटे भी साथ होते ही हैं।
Read More »सुंदरता या ग्लैमर बदले मायने
कई बुद्धिजीवियों का मानना है सौंदर्य का क्षेत्र इतना संकुचित नहीं। यदि महिला देखने में सुंदर है किन्तु पढ़ी-लिखी न हो तो वह सुंदरता फीकी पड़ जाती है। सुंदरता तो देश-प्रदेश के साथ अपनी परिभाषा बदलती रहती है।
Read More »बदल गए हैं सौंदर्य के मायने
सौंदर्य अपने आप में एक कला है, जिसको आजतक कवियों, लेखकों, बुद्धि-जीवियों, प्रेमियों इत्यादि ने अपने-अपने तरीक़े से देखा और परखा है। कहते हैं सौंदर्य, देखने वाले की आंखों में होता है।
Read More »धर्म के नाम पर इमोशनल ब्लैक मेलिंग घातक
यह विडम्बना है कि हमारा भारत धर्म की व्याख्या में भ्रमित होकर एक दूसरे पर छींटाकशी कर रहा है। एक दूूूूसरे को नीचा दिखा रहा है।
Read More »बुढ़िया पुराण निरा अंधविश्वास नहीं
‘बुढ़िया पुराण’ केवल गर्भवती महिला को ही नसीहत नहीं देता, यह परिवार के अन्य सदस्यों को भी नेक सलाह देता है। इसका कहना है कि गर्भवती को हर प्रकार संतुष्ट व प्रसन्न रखने का प्रयास करना चाहिये।
Read More »सही समय पर करें कैरियर का चुनाव
कैरियर का मुद्दा सीधे जीवन से जुड़ा है। अगर आप अपनी रुचि का ही कैरियर बनाते हैं तो आपका काम में मन लगेगा साथ ही आप उस क्षेत्र में बेहतर प्रगति कर सकते हैं।
Read More »लड़का ही क्यों लड़की क्यों नहीं
हमारे संविधान में सभी को चाहे वह लड़का है या लड़की, स्त्री है या पुरुष एक जैसे अधिकार तथा हक़ दिए हैं। लेकिन हम यदि अपने अंदर झांक कर देखें
Read More »यूं बेवजह उदास क्यूं!
उदासी दूर करने के लिए ज़रूरी है कि हम अपने वर्तमान हालातों में फेर-बदल करें। परिवर्तन ज़िंदगी का नियम है। ज़िंदगी के ख़ास तरीक़े में चलते-चलते हम थक जाते हैं
Read More »भ्रष्टाचार में फंसा हिन्दुस्तान
आज किसी भी क्षेत्र में नौकरी प्राप्त करने के लिए 'चुनाव मापदण्ड' उम्मीदवार योग्यता नहीं है बल्कि उसके द्वारा पेश की गई रिश्वत या किसी मंत्री की सिफ़ारिश होती है।
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