साहित्य सागर

आशीष- सुमन

मैं एक शादी पर गया और शगुन की रस्म अदा करने के बाद वहां भोजन हॉल में भोजन शुरू करने के लिए प्लेट उठाने लगा तो एक क्षीणकाय बालक ने नमस्कार करते हुए मेरे पांव छुए। मैंने उसे आशीर्वाद तो दिया परन्तु उसे पहचान न सका। सोचा, कोई परिचित होगा, कोई जान-पहचान वाला होगा। मेरी सोच की पकड़ में वह ...

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चाहत

तेरा चेहरा मासूमियत से भरा दुनियां की छल-कपट से दूर हृदय में प्यार तमन्नाओं का सागर एक ऐसा व्यक्तित्व जो एक आकर्षण रखता है

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कच्ची फ़सल

इस बार अपने हिस्से वाल ज़मीन पर अच्छी फ़सल होने के आसार नहीं हैं। पिता जी तो कुछ और ही राग आलाप रहे हैं..... समय से पूर्व फसल काटना धरती मां का अपमान है। धरती मां जैसा भी दे खुशी से स्वीकार करना चाहिए। अब तुम ही बातओ आजकल के ज़माने में ऐसी दक़ियानूसी बातें…..।"

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कर्णधार मेरे देश के

-बलदेव राज भारतीय बॉलीवुड के एक प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक को अपनी देशभक्ति पूर्ण फ़िल्म ‘कर्णधार मेरे देश के’ के लिए नए कलाकार चाहिए थे। उसे कलाकार मिले भी। परन्तु वे नए किसी भी सूरत में नहीं थे। आज तक उन्होंने परदे के पीछे रह कर काम किया था और अब साक्षात् परदे पर आना चाहते थे। ये कलाकार आम और ख़ास ...

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बेगम फिर तो हो ली नौकरी

-डॉ. अशोक गौतम मैं जब भी दफ़्तर जाता हूं अंतरात्मा को घर ही छोड़ आता हूं। वह इसलिए कि दफ़्तर के गोरख धन्धों को देख आत्मा तो मर गई है अब कहीं अंतरात्मा भी मर गई फिर तो मैं कहीं का न रहूंगा। पर पता नहीं इस अंतरात्मा को कभी-कभी न जाने क्या हो जाता है कि दफ़्तर साथ जाने ...

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इंतज़ार

'एक बार सुनाई नहीं देता। मेरी न मां है न बाप। तुम किसे मनाओगे? उस दानवी भाई को या फिर उस चुड़ैल जैसी भाभी को जिन्होंने पूरे घर को मेरे लिए एक जेल से भी बदतर बना दिया। पहले तो मार-मार कर मुझे अधमरा कर दिया और मेरा विश्वास न करके लोगों की बातों पर विश्वास करते रहे।'

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तुम बहुत अच्छे हो

– सुरेन्द्र कुमार ‘अंशुल’ ठंड अपने पूरे यौवन पर थी। अभी रात के आठ बजे थे, लेकिन ऐसा लगता था कि आधी रात हो गई है। मैं अम्बाला छावनी बस स्टैंड पर शहर आने के लिए लोकल बस की इंतज़ार कर रहा था। जहां मैं खड़ा था उससे कुछ ही दूरी पर दो-तीन ऑटो रिक्शा वाले एवं टैक्सी वाले खड़े ...

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क्या कहूं तुम से सजन

-रेनू बाला अपने सजन को जब भी देखती हूं, यही सोचती हूं कि ऐसा नमूना मेरी सखियों को भी क्यों न मिला। यक़ीन मानिए, मेरे सजन ने मुझे बड़ा दुखी कर रखा है। न … न … ग़लत मत समझिए। जिस्मानी तकलीफ़ देने की बात तो यह सपने में भी नहीं सोच सकते। बस इनमें कुछ ऐसी बुराई है जो ...

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