चमकती है लौ एक चांद तारों के साथ। एक ज़िंदगी अभी दूर तन्हाइयों में है।। इक दिन धरातल पर उसको भी तो लाना होगा।
Read More »महिला अधिकार
शास्त्र और शस्त्र विद्या अनिवार्य नारी के लिए
उसे किसी वेद-पुराण या उपनिषदों में पारंगत बनाना नहीं है अपितु हमने जिस शास्त्र से उसे जोड़ना है वह है सत्यम्-शिवम् और सुन्दरम्।
Read More »कानून से नहीं होगा औरत का उत्थान
सरकार और समाज कैसे जान पाएंगे कि हमारे देश की औरत को आख़िर चाहिए क्या जब स्वंय औरत ही आज तक जान नहीं पाई कि उसे क्या चाहिए?
Read More »मी टू अभियान
मी टू अभियान का अर्थ है एक महिला की आंतरिक पीड़ा कि मेरे साथ भी किसी पुरुष ने यौन शोषण किया है। उसने उन शरीफ़ज़ादों और नेताओं का पर्दाफ़ाश किया है
Read More »क़ामयाब गृहिणी के लिए कुछ महत्वपूर्ण सूत्र
वह कितनी सुन्दर है, इस का तौर तरीक़ा, आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच, बैठने उठने का सलीक़ा आदि एक सफल गृहिणी के महत्वपूर्ण गुणों में शामिल है।
Read More »नारी का अस्तित्व
राजनीतिक क्षेत्र हो या पत्रकारिता हर क्षेत्र में उसने अपनी ख़ास जगह स्थापित कर ली है। देश की सीमाओं की रक्षा के लिए हाथ में बंदूक पकड़ ली है। कोई भी क्षेत्र हो लड़कियां, लड़कों से आगे हैं।
Read More »विवाह के पश्चात् क्या उपनाम बदलना ज़रुरी है
विवाह के पश्चात् लड़की को हमेशा नया स्थान, घर, परिवेश, नए रिश्ते-नाते, नए लोग एवं नई संस्कृति के अनुरूप ढलना पड़ता है।
Read More »स्त्रियों के जानने योग्य कुछ कानूनी बातें
किसी महिला पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में ही किसी महिला की गिरफ़्तारी एवं तालाशी की जा सकती है। पूछताछ के लिए भी यही नियम लागू होता है। किसी भी महिला को सूर्यास्त के बाद पुलिस न तो थाने में तलब कर सकती है और न ही गिरफ़्तार कर सकती है। भारतीय दंड विधि 509 और 354 के अन्तर्गत महिलाओं के ...
Read More »महिला घरेलू हिंसा निवारण कानून 2006
कहते हैं औरत वो आटे का दीया है, जिसे घर के अन्दर रखो तो घर के चूहे खा जाते हैं। घर से बाहर रखो तो कौए नहीं छोड़ते। यानि कि औरत चाहे घरेलू हो या काम-काजी वह हर जगह शोषित होती है, प्रताड़ित की जाती है। हर स्थान पर उसकी इज़्ज़त और अस्तित्त्व पर ख़तरा ही मंडराता रहता है। एक ...
Read More »महिला हक़ों को जानिए
1956 में बने हिन्दू उत्तराधिकार कानून में स्त्रियों को काफ़ी हक़ दिए गए हैं जो महत्वपूर्ण हैं:- किसी पुरुष की जायदाद में उसकी विधवा पत्नी, मां, बेटियां और बेटे सभी प्रथम श्रेणी के वारिस हैं। पिता से पहले मृत्यु को प्राप्त लड़की या लड़के के बच्चों को भी दादा की संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलेगा। पिता के रिहायशी मकान ...
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