“निरन्तर चल रही ऑनर किलिंग सोचने को विवश कर रही है कि जन्मदाता का हत्यारा बन जाने में कौन सम्मान महसूस कर सकता है?
Read More »Writers
बापू का देश
– डॉ. अनामिका प्रकाश श्रीवास्तव “तुम भी किस ज़माने की बात करते हो, सुखी? अरे अब ये सब बातें छोड़ो, ये सत्य, ये अहिंसा, ये सदाचार, ये नैतिकता, ये सब बुज़दिलों की बातें हैं। वो ज़माना गुज़र गया जब लोग इनके बल पर ही समाज में ...
Read More »लड़की
इंसाफ़ के मन्दिरों में, ये दर्दनाक मंज़र
“विपक्ष के वकीलों का आपस में मिल जाना, वकीलों द्वारा अनपढ़ मुवक्किलों से ग़लत ब्यानों पर हस्ताक्षर करा लेने तथा केस कमज़ोर कर देना।
Read More »दिशा व दशा हीन होता मीडिया
नो न्यूज़ मीन गुड न्यूज़ होता है। जबकि विज़ुअल मीडिया फंडा का है कि ख़बर नहीं है तो भी ख़बर को क्रिएट किया जाए!
Read More »महत्वाकांक्षा का पलड़ा ममता पर भारी क्यूं?
-विजय रानी बंसल प्राचीन काल में महिलाएं केवल घर की चारदीवारी तक ही सीमित थी। घर-गृहस्थी सँभालना ही उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य था। परन्तु वक़्त के साथ-साथ विचारधाराएँ बदलीं, मान्यताएं बदलीं। महिलाएं घर की चारदीवारी से निकल कर बाहर की दुनियां में आयीं और उन्हें मिला शिक्षा, आज़ादी और कुछ कर दिखाने वाली सम्भावनाओं का विस्तृत आकाश। इसमें सबसे ...
Read More »लिंगडू की गठरियां
संवेदनाएं
स्वतन्त्रता संग्राम में पंजाब का साहित्य एवं साहित्यकार
किसी भी जाति की उन्नति के लिए उच्च कोटि के साहित्य की ज़रूरत होती है। ज्यों-ज्यों साहित्य ऊंचा उठता है, त्यों-त्यों देश की तरक्क़ी होती है-भगत सिंह पंजाब की ज़रखेज भूमि ने जहां गुरू गोबिन्द जैसे तलवार के धनी शूरवीरों को जन्म दिया, वहीं उस ने महान चिन्तकों, विचारकों, सिद्धान्तकारों कलाकारों, साहित्यकारों की जननी होने का गौरव भी प्राप्त किया ...
Read More »तकिया क़लाम
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