जब मन में ईर्ष्या या डाह पैदा होती है तो क्रोध आता है, कभी मन रोने को होता है, अपने या प्रतिद्वंद्वी के प्रति अशुभ विचार उत्पन्न होने लगते हैं, कमज़ोरी-सी महसूस होती है,
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अंतिम सांझ का दर्द
वह हर दिन निकलने वाले सूर्य के साथ दरवाज़े पर टकटकी लगाए एक आशा भरी निगाह लिए अपने बेटों का इंतज़ार करती। उसे हर आने वाले कल पर भरोसा था। उसे हर आने वाले कल पर भरोसा था।
Read More »गुलाब की पंखुडी से होंठ
यूं तो होंठों की बनावट नैसर्गिक होती है लेकिन होंठों को यूं सजाया और संवारा जा सकता है कि यह सराहे जाएं। बहुत से पुरुषों ने माना है कि सबसे पहले स्त्री के होंठों ने ही उन्हें आकर्षित किया।
Read More »लव मैरिज या फिर अरेंज मैरिज
विवाह एक समझौता, मैत्री सम्बन्ध के रूप में स्वीकृत है। आज की व्यस्तता में विवाह सम्बन्धी सभी परम्पराओं को निभाने का न किसी को अवकाश है
Read More »हे पद तुझे सलाम
दरवाज़े के आगे तो बहुत कुछ है उल्लू! धेले में बिकता कानून है, दुराचार में डूबी राजनीति है, हर जगह मरता सच है, खून के प्यासे रिश्ते हैं।
Read More »क्या कहता है गर्भस्थ शिशु
28 हफ़्तों का गर्भस्थ शिशु अपनी मां की आवाज़ ही नहीं अन्य ऐसी ध्वनियों को भी पहचान जाता है। जो उसे बार-बार सुनने के मिलती हों।
Read More »धर्म और राजनीति
धर्म को अगर राजनीति से जोड़ कर देखा जाए तो चहूं ओर राजनीति का बोलबाला ही नज़र आता है और आज की राजनीति का कोई धर्म नज़र नहीं आता।
Read More »एक लौ
इन सब प्रकार की कुंठा, डर, संशय, वैमनस्य, त्रासदी, दिशाहीनता और विभिन्न मतभेदों को समाप्त करने में एक व्यक्तित्व अभी भी सक्षम है। कौन?
Read More »कर्ज़ है हम सबके ऊपर
बक़ौल कुलप्रीत दुनियां का हर आदमी कर्ज़ में डूबा है। भारत देश कर्ज़ में डूबा है।सबसे धनी देश अमेरिका पर भी बहुत से लोगों का कर्ज़ है। हर भारतीय कर्ज़ के बोझ में पैदा होता है।
Read More »भारद्वाज गुरू जी
वह कुछ सकपकाया, 'आप अकेली.... और मेरा रुकना....। कुछ अच्छा नहीं लगता। हम चले जाएंगे।' चम्पा अधीर हो उठी। अपनी पहचान को पुख़्ता करने के लिए इतना समय और बात काफ़ी थी।
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