मैं पति के नाम से या…. फिर उसके जाये बच्चों के नाम से जानी पहचानी जाती हूं।
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बच्चों में शून्य होती संवेदनायें
भ्रमित हैं हम ये सोचकर कि आधुनिक भौतिक व्यवस्था हमारी जीवन-शैली को सुखी बना रही है, पर किस क़ीमत पर बना रही है हम यह नहीं देख पा रहे हैं। हमारे बच्चे नई जीवन शैली की जो क़ीमत चुका रहे हैं ये सोचने की किसी को फुर्सत ही कहां है?
Read More »ख़ाली प्लाट
शर्मा जी, शर्म करें कुछ। मैं आपकी बेटी जैसी हूं। इश्क कितना भी अंधा हो पर इतना पागल नहीं होता कि बाप की उम्र के आदमी के साथ किया जाए। अगर कोई करता भी हो तो मजबूरी हो सकती है, इश्क नहीं….।
Read More »विकलांग
मौन दर्शकों के हजूम में एक दुखियारी मां की चीखें ही सर्वत्र गूंज रही थी … कोई बचा ले मेरे बुढ़ापे के सहारे को … अरे! बच्चा आग में ज़िंदा जल जाएगा, कोई तो आग से निकाल कर ले आए उसे … आग की लपटें भयंकर होती जा रही थीं।
Read More »क़त्ल
मां तेरी महानता की परिधी के ओर-छोर आस-पास तक कहीं भी नहीं थी निर्दयता फिर तू निर्दयी बनी कैसे?
Read More »अभागी मां
एक आवाज़ फूटी- वह जल मरी भीड़ भरे शोर में दादी की भरोई आवाज़ गूंजी
Read More »विवशता
“मम्मी! आप मेरी मदद क्यों नहीं करतीं? आप तो अच्छी तरह जानती हैं कि मुझे पढ़ाई का कितना शौक़ है। इसी तरह चलता रहा तो मैं सिनॉपसिस कैसे तैयार करूंगी?” उसकी आंखों में आंसू आ गए। “मैं तेरे भइया से आगे नहीं चल सकती।” मां ने सपाट स्वर में कहा।
Read More »मौनी महाराज
अपुन को सिद्ध योगी बनने का रे…. मतलब…. ? अपुन को योग, निरोग और भोग को साधने का रे….। मैं समझा नहीं मुन्ना भाई….। तेरे को समझाने की नईं रे कुछ करने का। क्या करने का भाई….? प्रचार। ये आचार तो कई दफ़ा सुना था म-ग-र…. प्रचार…. ?
Read More »बनो अच्छा पड़ोसी
मैं मिलनसार हूं। संकोच की छाया तो मैंने कभी अपने व्यक्तित्व पर पड़ने ही नहीं दी। पड़ोसियों के घर की चीज़ें मेरी ही हैं। पड़ोसी का अख़बार मैं पहले पढ़ता हूं। उनका हैंड पम्प हमारा ही है। उनका रेडियो, खुरपा, कुदाल, हथौड़ी बाल्टी आदि मेरे घर में हैं।
Read More »बच्चों को ज़िद्दी न बनाएं
दरअसल बच्चों की हर इच्छा पूरी करते जाना कालांतर में आपके बच्चे को ज़िद्दी बना सकता है। जब बच्चा बहुत छोटा हो तभी से उसे समझाने की आदत डालें।उसकी हर ज़िद्द को पूरा करना बाद में आपके लिए घातक हो सकता है। ज़िद्दी बच्चे समझदार नहीं हो पाते।
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