Author Archives: admin

ज़माना नहीं बदलेगा हम बदलेंगे

समय बदलता है, सभ्यताएं बदलती हैं, उनके साथ परम्पराएं भी बदलती हैं। सभ्यता के बदलने से मतलब है लोगों के सोच-समझ, रहन-सहन, परिवेश, ज़िन्दगी को सोचने-समझने के अंदाज़ में अंतर आना। एक वो सभ्यता थी, जिसमें नारी का स्थान पुरुष से ऊपर रख कर उसकी तुलना देवी से की जाती थी। उस ज़माने में नारी का स्थान सर्वोपरि था, सभी ...

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शॉपिंग मेनिया महिलाओं में विशेष एक मानसिक रोग

-मिलनी टण्डन नए ज़माने, नए दौर में, तरह-तरह के मानसिक रोगों की संख्या बढ़ती जा रही है- पुरुषों और महिलाओं दोनों में। ख़ास बात यह है कि स्वयं रोगी को अपने रोग का ज्ञान या आभास नहीं होता। ऐसा इस कारण कि वह रोग उसकी आदत या प्रकृति या स्वभाव में शुमार हो जाता है। दूसरा व्यक्ति जो रोगी के ...

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बिन फेरे हम तेरे कब तक रहेंगे

-धर्मपाल साहिल भारत एक समृद्ध एवं सुसंस्कृत परम्पराओं वाला देश है, जिस कारण विश्व भर में भारत की एक विलक्षण पहचान बनी है। इन्हीं परम्पराओं में एक है विवाह परम्परा। प्रजातियों की निरन्तरता एवं अनुवांशिक विकास हेतु समाज शास्त्रियों ने परिवार गठन के कुछ नियम गढ़े और सदियों से हमारा समाज इस परम्परा का पालन करता आ रहा है। आरम्भिक काल ...

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आत्मसम्मान ही सम्मान का पर्याय है

–संजीव चौहान आज की नारी के सामने पुरुष से बराबरी का अधिकार, पुरुष प्रधान समाज द्वारा दमनकारी नीतियों का कार्यान्वयन, सम्मान आदि प्रश्न मुंह उठाए खड़े हैं। क्या समाधान है इनका? क्या नारी बिना किसी वाद-विवाद के अपना उचित स्थान क़ायम कर सकती है? यदि इन प्रश्नों का उत्तर ‘हां’ है तो ……. आज के युग में नारी को स्वयं ...

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नारी कल्याण में भ्रमण की भूमिका

चौका, चूल्हा, चारदीवारी! ‘च’ की इस परिधि में महिला को युगों-युगों से क़ैद रखा गया, जिससे वह ‘कुएं के मेंढक’ की तरह अपने घर को ही सब कुछ मानकर उसके प्रति समर्पित रही है, भले ही उसके इस समर्पण के बदले में उसे दुत्कार, प्रताड़ना और शारीरिक शोषण सहन करना पड़ता हो। इस परिधि में रहते हुए स्त्री की स्थिति ...

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ऐ क्या बोलती तू

जब आप को सर्दी की सवेर में रेलवे यात्रा करनी पड़ जाए जबकि आपके पास कोई बुकिंग सीट का टिकट नहीं बल्कि एक साधारण टिकट हो तो आपको यह जान लेना चाहिए कि आपने पिछले जन्म में कोई अच्छा काम नहीं किया। आप जान ही गए होंगे कि मैंने क्या सोचा होगा जब ऐसी ही सवेर में मेरे कांपते बदन ...

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देश व नारी जाति का गौरव बढ़ाया कल्पना ने

-मुकेश विग इतिहास रचने वालों को कब किसी की इजाज़त मिलती है। वक़्त उसके साथ न था, घरवालों का सहयोग भी न था। घरवालों को कहां अंदाज़ा होगा उसकी क़ाबिलीयत का! एक बार अपने सपने पूरे कर कल्पना मंगल ग्रह तक पहुंची तो दुनियां भर को नाज़ हो आया उसकी क़ाबिलीयत पर! कल्पना ने अपना इतिहास खुद लिखा ये बता ...

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नारी पुरुष का पूरक रुप है

-रमेश सोबती इस देश में स्त्रियों के प्रति हिंसा गर्भ से ही आरम्भ होती रही है, जो जीवन भर रहती है। जन्म से पहले ही लिंग चयन और इस के परिणाम स्वरूप बालिका-शिशु भ्रूण की हत्या हिंसात्मक हद तक बढ़ जाती थी, जिस से महिलाओं की स्थिति दिन-ब-दिन दूभर होती गई। लैंगिक आधार पर हिंसा का कोई कृत्य जिस से ...

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लेखक का दुखांत

-बिपन गोयल सुबह उठते ही वह बुक स्टॉल पर जा कर पंजाबी की अख़बार का एक-एक पन्ना टटोल मारता। शायद किसी संपादक ने उस की कहानी प्रकाशित कर के खुशी प्राप्त कर ली हो। सभी पंजाबी पत्र-पत्रिकाएं देखने के बाद वह अंग्रेज़ी के अख़बारों का पन्ना-पन्ना टटोलता। यही सोचता शायद किसी अक्ल के अन्धे लेखक या आलोचक ने किसी लेख ...

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जाट आरक्षण का विरोध क्यों

-सिमरन जाट आरक्षण के लिए आंदोलन के बाद सोशल मीडिया पर जिस तरह से उसका विरोध हुआ उससे कई बातें मन में उठीं। आख़िर जाट आरक्षण का विरोध इस तरीक़े से क्यूं किया गया। यह जाट आरक्षण का विरोध है:- यहां पहले मैं यह बात स्पष्ट करना चाहती हूं कि जिस प्रकार उग्र तरीक़े से आजकल आरक्षण का विरोध हुआ ...

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