साहित्य सागर

बंटवारा

धरती बांटी अंबर बांटा बांट दिया जग सारा मानव तेरी चाल के आगे ईश्वर भी है हारा ईश्वर ने तुुझको बनाया

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निर्निमेष

मैं छत की मुंडेर तक जा पहुंचा। वह युवती तक़रीबन तीन मीटर की दूरी पर थी। अभी-अभी मेरे शरीर के अंदर किसी वस्तु ने प्रवेश किया। मैं रंगे हाथ पकड़ा गया था। उस युवती ने देखा ... तब मैं। लगा जैसे कुछ उतरता चला गया है। अनंत से ... अनंत तक।

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कैसे-कैसे खिलाड़ी

इनकी लिस्ट पूरे विश्व में सबसे लम्बी हो सकती है। ऐसे खिलाड़ी हमें हर गली मोहल्ले में मिल सकते हैं। वैसे इन्हें राजनीति का खिलाड़ी यानी नेता भी कह कर पुकारा जाता है। इनकी गेम का कोई मुक़ाबला नहीं कर सकता।

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बाल स्नेह

आ मेरे मुन्ने मैं तूझे प्यार कर लूं दुलार कर लूं बार-बार कर लूं संसार की उपेक्षा- अपेक्षा से नादान है तू

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वो पंडित भला किस काम का जो

देख... यजमान की दरियादिली... पंडित जी! ऊपर से नीचे तक मुस्काए, उनकी वीभत्स मुस्कुराहट देखकर नौ के नौ ग्रह घबराए... पंडित जी ने आव देखा न ताव... झोले से काग़ज़ पेन निकाला... ठीक की गले की मायावी माला... चौकड़ी मार... अपनी कंगाली झाड़... सामग्री लिखने लगे

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वक़्त से डरो

दो पुत्रों और एक पुत्री की मां बीरो को ज़िंदगी में कोई सुख नहीं मिला था। दोनों पुत्र अपना विवाह होते ही दूर-दूर जा बसे थे। मां और बहन किस हालत में हैं उन दोनों ने मुड़ कर भी नहीं देखा। ऐसे में पड़ोस में रह रहे राय बाबू को व्यंग्य बाण छोड़ते हुए ज़रा भी दया नहीं आती थी।

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आधुनिक सीता

मुझे ज़रूरत भी नहीं है मालूम करने की क्योंकि मैं अच्छी तरह जानता हूं ऐसे लोगों को, जो टाइम पास करते हैं और फिर उनकी भी क्या ग़लती, जब कोई खुद ही अपना सब कुछ सौंपने को तैयार हो।

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आमदनी

अन्दर से डॉ. कालरा की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी। वह अपनी नर्स पर बिगड़ रही थी, जिसने हाल ही में उसके क्लीनिक में नौकरी पाई थी, "सुनीता अगर तुम इसी तरह नॉर्मल डिलीवरी करवाती रही तो वो दिन दूर नहीं जब कालरा क्लीनिक बंद हो जाएगा,

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