साहित्य सागर

क्रूरता

-बिमला नेगी स्कूल के प्रांगण में मंदिर है या मंदिर के प्रांगण में स्कूल मैं नहीं जानती। हाँ इसी स्कूल के होस्टल में मैं रहती हूँ। और मंदिर के पास एक कुत्ते-कुत्तिया का जोड़ा रहता है। सुबह-सवेरे कुत्तिया मार्ग के बीचों-बीच बैठकर मानो आने-जाने वाले की हाज़िरी भरा करती है। प्रतिदिन सुबह 4 बजे मन्दिर की ध्वनि बज उठती तब ...

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सावित्री

  घर में शादी की चहल-पहल थी। सावित्री की नज़रें रास्ते पर लगी थी। ‘सुनो जी, मानव, मधु और बच्चे अभी तक नहीं पहुँचे। उन्हें फ़ोन करके पूछ तो लो, कहाँ हैं अब तक?’ सावित्री ने अपने पति दीनानाथ की ओर मुड़ते हुए कहा। ‘दादी जी, मैंने अभी फ़ोन किया था, वे रास्ते में हैं – बस पहुंचने ही वाले ...

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एक टांग वाला मुर्गा

वह पैटून पुल आस-पास के छ: गांवों को जोड़ता था। जब से उज्ज दरिया पर यह पुल बनाया गया था लोगों को बड़ी राहत मिली थी। बॉर्डर पर बसे गांव सकोल के लिये यह पुल बड़ा उपयोगी सिद्ध हुआ था। इस गांव और समीप के लगते गांवों की ज़रूरतों को देखते हुये गांव का माध्यमिक विद्यालय हाई स्कूल में तबदील ...

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खुशबू

  -सुरेन्द्र कुमार ‘अंशुल’ आज मैं बहुत खुश हूँ। आँखों से नींद कहीं दूर छिटकी हुई थी। खुली खिड़की के उस पार मुस्कराते हुए चाँद को देख कर मेरे होंठ मंद ही मंद मुस्करा रहे हैं। मन का पंछी नीले आकाश पर फैले बादलों के पास उड़ान भर रहा है। क्यों न हो ऐसा? आज … हाँ आज ही मुझे ...

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दांव

“किसकी इज़्ज़त कैसी इज़्ज़त और लोग भी अपनी बीवियाँ दांव पर लगा रहे हैं …. तू भी चल।” बापू कपड़े धोने वाली थपकी उठा लाया ।

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मनचले

 – मनोज चौहान लॉन्ग रूट की बस सर्पीली पहाड़ी सड़क से गुज़र रही थी। कंडक्टर की सीटी के साथ ही बस सवारियों को चढ़ाने के लिए एकाएक रुकी। अन्य सवारियों के साथ दो किशोरियां भी बस में चढ़ी। दो मनचले लड़के भी उनका पीछा करते बस में चढ़ गए थे। बस की सभी सीटों पर सवारियां बैठी थी, इसीलिए दोनों ...

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