साहित्य सागर

बलबीर

एक थी नर्स बलबीर। अब आप गुस्सा न करें कि कहानी की शुरूआत अजीब है। अब आप ही कहिए जब राजा-रानी होते थे तो कहानी की शुरूआत बड़ी आसान थी। कोई रोकने-टोकने वाला नहीं था। बस क़लम उठाई और शुरू कर दी कहानी, एक थी रानी या फिर एक था राजा या फिर एक था राजा, एक थी रानी। अब ...

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बापू का देश

                               – डॉ. अनामिका प्रकाश श्रीवास्तव “तुम भी किस ज़माने की बात करते हो, सुखी?  अरे अब ये सब बातें छोड़ो, ये सत्य, ये अहिंसा, ये सदाचार, ये नैतिकता, ये सब बुज़दिलों की बातें हैं। वो ज़माना गुज़र गया जब लोग इनके बल पर  ही समाज में ...

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श्रीमान नायक

-अरविंद कौन नायक बनना नहीं चाहता? यह दबी-सी इच्छा तो सब की होती है। ऐसी इच्छा मुझ में भी जागी थी जब मुझे शुरू-शुरू में नायक की परिभाषा का पता चला था। “श्रीमान नायक” मैं अभी सातवीं–आठवीं का ही छात्र था। पंकज और प्रताप दोनों मेरे दोस्त थे। हम तीनों साथ घूमते–फिरते और एक बैंच पर ही बैठते। हम में ...

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सुगंध

-डॉ राज बुद्धिराजा वह एक अनोखा विवाह था। हमारे जैसे दस-बीस लोगों को छोड़ कर सभी बाराती-धराती मूक-बधिर थे। टेंट वालों, बिजली वालों, कैमरा-वीडियो वालों और खाना बनाने वालों से लेकर-परोसने वालों तक। युकलिप्टस से घिरे जगमगाते मैदान की शांति को शहनाईवादन और हमारी अनुशासित हंसी भंग कर रही थी। सभी अपनी उंगलियों, हथेलियों, नेत्रों, होंठों की संकेती भाषा से ...

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नई उड़ान

मेरे मन रूपी अंधेरे से एक चीत्कार-सी उठ रही है कि मैं कहां हूं? क्यों हूं? बस हर बार यह टीस हृदय को अत्यधिक उद्वेलित कर देती है। सोचते-सोचते ही मैं लेट गई और अपनी आंखों को बंद करके स्वप्नों में विचरण करने लगी थी कि मुझे मेरा ही नाम सुनाई दिया। “मोहिनी” “मोहिनी” आंखें खोलकर देखा तो पन्नाबाई मुंह ...

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भूख

                                                           -डॉ.रामनिवास ‘मानव’ वह आदमी है या जीवित पहेली, कहना मुश्किल है औरों की तो बात छोड़िये, पूरे पांच साल सिर खपाने के बाद, पत्‍नी भी उसके स्वभाव को समझ नहीं पाई। ...

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पत्‍नी का भविष्‍य

-डॉ. रामनिवास ‘मानव’ पति ने नववर्ष पर ‘हिन्दुस्तान’ में अपना वार्षिक भविष्य-फल देखने के बाद पत्‍नी से पूछा – ‘‘तुम्हारी राशि क्या है ?” “तुला, क्यों ?” “तुम्हारा वार्षिक भविष्य देखना है।” “मुझे बिना देखे ही पता है।” “कैसे ?” “इस में कैसे की क्या बात है! शादी के बाद पिछले दस वर्ष जैसे बीते हैं, वैसे ही बीतेगा यह ...

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