संपादकीय

नई परवाज़

कुछ उलझनें हैं दिल में कुछ अरमां भी पल रहे हैं चंचल जो हुई हवाएं कुछ हम भी बदल रहे हैं बदलावों को ज़िन्‍दगी में हम जगह दे रहे हैं

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ये ज़िंदगी के रास्ते

‘तंग राहें तपती रेत नंगे पांवों में छाले’ यूं भी रास्तेे काटे जाते हैं। ये ज़िंदगी के रास्ते सब के लिए अलग-अलग रंग लिए होते हैं। किसी को तो ये एक इम्तिहान जैसे मिलते हैं और किसी को इबादत जैसे। किसी के रास्ते मुहब्बत के कारवां से भरे-पूरे होते हैं तो किसी के रुसवाई जैसे। कहीं प्रेम, प्यार सदभावना से ...

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चुनौतियां

किसी भी देश के विकास के लिए, समृ‍द्धि के लिए आवश्यकता होती है श्रम की, आवश्यकता होती है संघर्ष की। यही तो ज़िंदगी का सार है। ज़िंदगी का अर्थ, ज़िंदगी की शकल सब के लिए अलग होती है। ज़िंदगी चाहे बोलती नहीं पर हालातों द्वारा खुद को बयां करती है। ज़िंदगी कैसी भी हो, किसी की भी हो संघर्ष मांगती ...

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सत्यम् शिवम् सुन्दरम्

परम पिता परमात्‍मा ने जब इस लोक को बनाने का तसव्वुर किया तो हर यत्न, हर प्रयत्न से एक खूबसूरत जहां बना डाला। बेशक वो अपने रचना कौशल पर गौरवान्वित हुए बिना न रह पाया होगा। कहते हैं भगवान् को अपनी बनाई दुनिया से बेहद प्रेम है। किसी भी रचयिता को अपनी खूबसूरत रचना को देखकर वैसी ही अनुपम आनंद ...

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ख़ाबों की तसवीर

जो रात को सोते में देखते हो तुम, उन सपनों के कोई मायने ही नहीं होते। सपने तो दरअसल वो होते हैं जो सोने नहीं देते तुमको। सभी के सपने सच नहीं होते पर फिर भी सभी सपने सजाते तो ज़रूर हैं। अपनी हसरतों के, अपनी आकांक्षाओं के, अपनी मुरादों के सपने। यह सपने ही तो हैं जो जीने की ...

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मुक़म्मल होने के लिए

मैं मुक़म्मल हूं, संपूर्ण हूं हर लिहाज़ से हर परवाज़ पे हर दिशा में हर दशा में अपने आप में कोई व्यक्‍ति संपूर्ण नहीं होता। लेकिन औरतों की संपूर्णता को कई बातों में ढूंढ़ा जाता है। मदर टेरेसा और लता मंगेशकर दो ऐसी महिलाओं के नाम हैं जिनसे अधिक संपूर्णता मुझे कभी किसी महिला में नज़र नहीं आई। औरत पत्नी ...

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नहीं अब और नहीं

चलना है इसलिए चल दिए हैं, उठना है इसलिए उठ पड़े हैं। यूं बेमक़सद-सा चलते जाना क्‍यूं ज़िन्दगी का दस्तूर हुआ। आशा से भरी निगाहें लिए मन में ढेरों सपने सजाए कब से चल रहे हैं पल भर पलट कर देखें, सोचें क्या बदला, क्या पाया। उम्मीद के उस छोर से हम कितनी दूर। आशा थी हमें कि औरत को ...

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हादसों की खुशबू

जो हम पाना चाहें वही मिल जाए ये ज़रूरी तो नहीं और जो हमें मिल जाए उसे हम चाहने लगें ऐसा होता ही नहीं। जिसे हम चाहते हों उसे पा लें यह ज़रूरी तो नहीं और जिसे हम पा सकें उसे ही अपना लें ऐसा होता ही नहीं । फिर भी हम जी तो पाते हैं। तब भी चाहतें दिलों ...

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अहसास दर अहसास

अहसासों को अंजुली में भरकर रखा नहीं जाता ये तो पल-प्रतिपल बदल जाते हैं। ये अहसास, ये भावनाएं हाथ से रेत की मानिंद फिसलते हैं तो रोक लेने होते हैं यह सदा के लिए। क़ैद करना होता है इनको इन कोरे काग़ज़ों पर। लेकिन हर बार शब्द साथ नहीं देते। कई बार जाने शब्द क्यूं नहीं मिल पाते कहां खो ...

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