Writers

सिसकता हथियार- बेलन

लेकिन दुर्भाग्य! बेलन आज सिसकता नज़र आ रहा है और हसबैण्डों का समाज ठहाके लगाता हुआ साफ़ नज़र आता है। यह स्थिति पत्नियों के लिए शर्मनाक है,

Read More »

समय पर काम करें

काम टालना आपको आलस्य की ओर ले जाता है। कपड़े धोने के बाद ही इस्तरी कर लें। यदि मूड पर डिपेेेेन्ड करेंगे तो ये काम कई दिनों तक लटकता रह सकता है।

Read More »

आख़िर किसे बनाएं युवा अपने जीवन का आधार

लड़कियां जब 14 से 18 वर्ष की आयु में होती हैं तो यह एक अति विशेष परिस्थितियों वाला समय होता है। हम केवल लड़कियों की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि नारी जाति को ही गृहस्थ धर्म का आधार माना जाता है

Read More »

टी.वी देखकर बच्चों को हो सकती है भयंकर बीमारियां

बच्चे टी.वी. पर हिंसा व मार-धाड़ वाले दृश्य बड़े ही चाव से देखते हैं। लेकिन उनका दिमाग़ इतना मैच्योर नहीं होता कि वे ऐसे दृश्यों को पचा पाएं।

Read More »

रुख़सत

उसे रुख़सत करके लौटा तो आंगन के फूल हो चुके थे बदरंग हवा थी बोझिल तस्वीरें उदास

Read More »

लिखना फ़िल्मों के लिए

फ़िल्म की शूटिंग पूरे ज़ोरों पर थी। फ़िल्म का सैट एक हवालात का था। हवालात में बंद मुलज़िम (सन्नी देयोल) खून से लथपथ हुआ सलाख़ों वाले दरवाज़े की तरफ़ चलता आता हुआ चीखता है, “मुझे तो तुमने ज़िंदा छोड़ दिया है इंस्पेक्टर, पर अब मैं तुम्हें ज़िंदा नहीं छोड़ूंगा।”     “कट।” निर्देशक की आवाज़ गूंजी, “राइटर कहां है?”      लेखक काग़ज़ों का ...

Read More »

विज़डम ट्री

-जसबीर भुल्लर   विज़डम ट्री अर्थात् बोध वृक्ष फ़िल्म एण्ड टेलिविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ़ इन्डिया, पुणे के प्रभात स्टुडियो के नज़दीक खड़े उस वृक्ष का नाम ‘विज़डम ट्री’ पता नहीं किस समय पड़ गया था। विज़डम ट्री एक साधारण-सा आम का वृक्ष है परन्तु फिर भी वह साधारण नहीं। 1983 में मैं पहली बार फ़िल्म इंस्टीट्यूट गया था। उस समय तक ...

Read More »

जज़बात

आज भी जी भर आता है उस दहलीज़ से क़दम बाहर रखते हुए कितना कुछ ले आती हूं साथ कुछ धुले-धुले से जज़्बात मुस्कुराती हुई कुछ यादें और बहुत बुज़ुर्ग हो चुकी वो दो जोड़ी आंखें

Read More »

मैं क्या हूं

ज़िंदगी के आख़िरी पड़ाव में नज़र आई ज़िंदगी की संकरी गलियां, पथरीले रास्ते भीगी छत और गर्म लू से कई हादसे क्यूं आख़िर क्यूं सबकी उम्मीदें टिक जाती इक औरत पर

Read More »

अंधेरा

तुम क्यों बार-बार अंधेरे में, मेरे दिल के इक कोने से आवाज़ देते हो मुझे दौड़ती हूं चहुं ओर क्योंकि गूूंजती है तुम्हारी आवाज़

Read More »