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कृष्ण वंदना

दरस दिखादे तरस तू खा ले मुझपे मेरे कन्हैया उम्र बीत गयी अब तो पार करदे मेरीी नैया हर प्राणी के स्वर में मोहन बजती तेरी मुरलिया मेरे मन के भाव भी समझो कृपा करो सांवरिया

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भूख

क्या इस बात का पता नहीं था चला कि वह घर बेटी के लिए नर्क होगा और संधू सभी के बारे में यही सोचेगा कि और किसी के कंधे पर सिर ही नहीं, “सोचने और कहने का काम केवल उसी ने करना है।” -क्या आपको यह संकेत नहीं था मिला कि संधू का मुंह अभी और खुलना था और भूख ज़्यादा बढ़नी थी।

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बच्चों में शून्य होती संवेदनायें

भ्रमित हैं हम ये सोचकर कि आधुनिक भौतिक व्यवस्था हमारी जीवन-शैली को सुखी बना रही है, पर किस क़ीमत पर बना रही है हम यह नहीं देख पा रहे हैं। हमारे बच्चे नई जीवन शैली की जो क़ीमत चुका रहे हैं ये सोचने की किसी को फुर्सत ही कहां है?

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विवशता

“मम्मी! आप मेरी मदद क्यों नहीं करतीं? आप तो अच्छी तरह जानती हैं कि मुझे पढ़ाई का कितना शौक़ है। इसी तरह चलता रहा तो मैं सिनॉपसिस कैसे तैयार करूंगी?” उसकी आंखों में आंसू आ गए। “मैं तेरे भइया से आगे नहीं चल सकती।” मां ने सपाट स्वर में कहा।

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बनो अच्छा पड़ोसी

मैं मिलनसार हूं। संकोच की छाया तो मैंने कभी अपने व्यक्तित्व पर पड़ने ही नहीं दी। पड़ोसियों के घर की चीज़ें मेरी ही हैं। पड़ोसी का अख़बार मैं पहले पढ़ता हूं। उनका हैंड पम्प हमारा ही है। उनका रेडियो, खुरपा, कुदाल, हथौड़ी बाल्टी आदि मेरे घर में हैं।

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बच्चों को ज़िद्दी न बनाएं

दरअसल बच्चों की हर इच्छा पूरी करते जाना कालांतर में आपके बच्चे को ज़िद्दी बना सकता है। जब बच्चा बहुत छोटा हो तभी से उसे समझाने की आदत डालें।उसकी हर ज़िद्द को पूरा करना बाद में आपके लिए घातक हो सकता है। ज़िद्दी बच्चे समझदार नहीं हो पाते।

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श्रद्धा-सौंदर्य एवं लक्ष्मी है नारी

भारतीय नारी सौंदर्य की अभिव्यक्ति का प्रमुख साधन माध्यम भी है। सत्यं, शिवं के साथ ईश्वर की तीसरी विशेषता सुन्दरम् है। ईश्वर को सुन्दरता बहुत प्रिय है और उस का अंश होने के कारण जीवात्मा भी प्रत्येक सुन्दर वस्तु को देख कर आकृष्ट होती है।

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चिट्ठियां

आज भी संजोये हुए हूं वो पुरानी चिट्ठियां धुंधले पड़ गए हैं शब्द नर्म पड़ चुके और गले हुए काग़ज़ बचाए हुए हैं अपना वजूद जैसे-तैसे

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वर्जित सम्बन्धों की छटपटाहट क्यों?

-विजय रानी बंसल वर्जित सम्बन्ध यानी कि विवाहेत्तर सम्बन्ध! एक विवाहित का दूसरे विवाहित से चोरी छिपे लुका-छिपी का खेल। चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, पर-पुरुष या पर-स्त्री से चोरी छिपे वह सम्बन्ध रखने को लालायित जिसे समाज में वर्जित माना जाता है। इसे मजबूरी कहें या स्टेटॅस सिम्बल या फिर मात्र संयोग। शताब्दियों पुराने वैवाहिक सम्बन्धों को आधुनिकता ...

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