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नारी के अस्तित्त्व पर प्रश्न चिन्ह?

नारी प्रकृति है, प्रकृति परमेश्वर है- यदि भगवान् का कोई भी अस्तित्त्व है तो वह भगवती के कारण ही है भगवती-भगवान् से किसी रूप में भी कम नहीं दूसरे शब्दों में यदि यह कहा जाए कि मां का रुतबा भगवान् से भी बड़ा है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। नारी एक प्रबल ज्योति है- प्रकाश का पुंज है।

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हे प्रकृति मां

अपनी तृष्णा की चाह में मैंने भेंट चढ़ा दिए हैं, विशालकाय पहाड़ ताकि मैं सीमेंट निर्माण कर बना सकूं, एक मज़बूत और टिकाऊं घर, अपने लिए

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बचपन

वह मुरझाया-सा चेहरा हाथों में पत्थर के दो टूकड़े लिए जिनसे मिटती सी प्रतीत हो रही थी उसकी भाग्य रेखा

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साड़ीः राष्ट्रीय महिला पोशाक

साड़ी भारतीय नारियों का परम्परागत राष्ट्रीय परिधान है। यह हमारे संस्कारों से जुड़ी है। यह भव्यता और गरिमा देती है।भले अत्याधुनिक भारतीय महिलाएं अन्य परिधानों की ओर ललक दिखा रही हों, साड़ी का कोई विकल्प नहीं।

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संवेदनशील एक्ट्रेस और बेबाक व्यक्तित्व- कंगना राणावत

कंगना को स्पष्टवादिता के बारे में जाना जाता है। बेबाकी से अपनी हर बात को रख पाने में मशहूर कंगना हमेशा विवादों में घिरी रहती है। वो अपनी शर्तों पे जीती है और विवादों से प्रभावित नहीं होती। जब हर सवाल का सटीक जवाब देती है तो बहुत परिपक्व नज़र आती है।

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चांदनी का प्रतिशोध

हर इंसान के जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी घटती हैं जिन्हें लाख चाह कर भी हृदय से निकाला नहीं जा सकता फिर वो घटना जो किसी के बहुत अपने व्यक्ति की हो तो जिस्म का अंग-अंग कट कर गिरता सा लगता है वो इंसान ऊपर से नीचे तक खून से लथपथ होकर भी चिल्ला नहीं सकता, रो नहीं सकता। यादों ...

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योग्य बेटी के पांव की बेड़ियां न बनें

वो समाज में जितनी भी पहचान स्थापित कर ले फिर भी वो औरत है, बेटी है इसका उसको कर्ज़ चुकाना पड़ता है और न जाने कितनी प्रतिभाएं इस मानसिक प्रताड़ना के चलते, अपने सफ़र को अधूरा छोड़ देती हैं।

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विष कन्या

बस रुकते ही वह हवा के झोंके की तरह बस में चढ़कर मेरे साथ ख़ाली पड़ी सीट पर बैठ गई। उसके स्पर्शमात्र से मेरी रगों में बहते खून की गति तेज़ हो गई। तेज़ी से पीछे की ओर भागते पेेड़ों, पौधों, घरों, खेतों, खलिहानोंं से हटकर मेरी नज़रे उस अप्सरा पर मंडराने लगी थीं।

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क्योंकि

जब शब्द ज़ुबान नहीं बनते तो आंसू बोलते हैं। मगर उनकी भाषा संवेदनाशुन्य मानव नहीं समझ पाता,

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जीवन की कहानी बूंद-बूंद पानी

प्रकृति की रचना कितनी अजीब है कि हमारी धरती तीन ओर से पानी में घिरी है मगर फिर भी प्यासी की प्यासी है। मनुष्य, जीव-जन्तुओं और वनस्पति को जीवित रहने के लिए पानी की अति आवश्यकता है। जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं में पानी की अहम भूमिका है।

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